रांची : झारखंड
@The Opinion Today
भारत और थाईलैंड कला , संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली को सहेजने वाले देश हैं : प्रो० वीरानूट
भारत और थाईलैंड के कला , संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली को सहेजने वाले देश हैं। दोनों देशों के बीच कई समानताएं हैं। भारत मेरे दूसरे घर की तरह है। पारंपरिक चिकित्सा एवं आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बीच एकीकरण जैसे विषय पर आयोजित यह कॉन्फ्रेंस वर्तमान समय की मांग है क्योंकि फार्मास्यूटिकल साइंस काफी तेज गति से नए लक्ष्यों की ओर अग्रसर है। उक्त बातें वलीलॉक यूनिवर्सिटी ( वर्ल्ड यूनियन फॉर हर्बल ड्रग डिस्कवरी ) थाईलैंड की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० वीरानूट निशापॅटर्न ने कही। वे झारखंड राय विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थी। उन्होंने झारखंड राय विश्विद्यालय में किये गए भव्य स्वागत की चर्चा करते हुए कहा की मैं पहली बार इस खूबसूरत शहर रांची में आयी हूँ। यहाँ आकर मुझे काफी अच्छा लग रहा है। इंटीग्रेशन ऑफ़ ट्रडिशनल मेडिसिन और मॉडर्न हेल्थ केयर सिस्टम विषय पर आयोजत यह कॉन्फ्रेंस एक अच्छा अवसर है दोनों देशों की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को जानने एवं साथ मिलकर काम करने का दोनों ही देश अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को संजोये हुए आगे बढ़ रहे हैं।
झारखण्ड राय विश्वविद्यालय रांची में रविवार को आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस “इंटीग्रेशन ऑफ़ ट्रेडीसनल मेडिसिन ऑन मॉडर्न हेल्थ केयर सिस्टम” का उद्घाटन पारंपरिक तरीके से दीप प्रज्वलित कर किया गया। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल स्टडीज (एन आई एफ एस ) श्री लंका में सीनियर रिसर्च प्रोफेसर डॉ० ललित जयसिंघे , आईसीएमआर में वैज्ञानिक प्रो० देबप्रसाद चटोपाध्याय, एनआईपीइआर कोलकाता में एसोसिएट प्रोफेसर और एचओडी डॉ ० सतीश कुमार नंजापन्न , बीआईटी मेसरा के फार्मेसी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ० मानिक घोष एवं झारखण्ड राय विश्वविद्यालय रांची के कुलसचिव प्रो० पीयूष रंजन ने सामूहिक रूप से दीपप्रज्जवलित किया।
स्वागत संबोधन करते हुए झारखण्ड राय विश्वविद्यालय रांची की कुलपति प्रो० (डॉ०) सविता सेंगर ने कहा की हमारे वेदों में, भारतीय ज्ञान परंपरा में इतना कुछ लिखा हुआ है उसे हम क्यों नहीं आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में शामिल करते हैं ? विश्व के किसी भी देश में चले जाएं आज वहाँ जितनी भी ज्वलंत समस्यायें है उनके उपचार और निदान की चर्चा हमारे योग विज्ञान एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में मिलता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया की विश्व में आह अवसाद, तनाव और पर्यावरण ह्रास एक गंभीर समस्या का रूप ले चुकी है। इन वैश्विक समस्याओं से जुड़े उपचार योग शास्त्र में बताये गए हैं। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धहति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा की हमारे पूर्वजों ने हजारों साल पहले जो चिकित्सा विज्ञान अर्जित किया है उसे हम दरकिनार नहीं कर सकते हैं।
प्रो० सेंगर ने कॉन्फ्रेंस में शोध पत्र प्रस्तुत करने पहुंचे शोधार्थी एवं विद्यार्थियों से कहा की जिन भी विषयों पर आप अपना शोध पत्र प्रस्तुत करने आये हैं उसके वैज्ञानिक तथ्यों की पहले खोज करे। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का समावेशन बेहद जरुरी है।
धन्यवाद् ज्ञापन करते हुए कॉन्फ्रेंस के कन्वेनर डॉ ० सैयद मो ० अब्दुल्ला ने देश विदेश से उपस्तिथ अतिथियों एवं वक्ताओं का धन्यवाद् करते हुए कहा की दो दिनों तक चलने वाले इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान कई शोध पत्र पढ़े जायेंगे। इंटीग्रेशन ऑफ़ ट्रेडीसनल मेडिसिन ऑन मॉडर्न हेल्थ केयर सिस्टम कॉन्फ्रेंस अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में अवश्य सफल होगा।
ज्यादा जानकारी के लिये नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें
#theopiniontoday #jharkhand_news #jharkhand_update #jru #Jharkhand Rai University #International_Conference_ITM-MHS_2025
Discover more from theopiniontoday.in
Subscribe to get the latest posts sent to your email.