रांची : झारखंड
@ The Opinion Today
नेपाल की दिवाली भारत से थोड़ी अलग है। यहां दीपावली को तिहार के नाम से मनाया जाता है। पांच दिनों का त्योहार है तिहार । इसे भी भारत की दीपावली की तरह ही धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि, तिहार पर्व की अपनी कुछ अनूठी परंपराएं भी हैं जो इसे सबसे अनूठा भी बनाती है।
तिहार के 5 दिन क्या होता है?
पहला दिन (गाय तिहार): इस दिन गायों की पूजा की जाती है। गाय को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
दूसरा दिन (कुक्कुट तिहार): इस दिन कुत्तों की पूजा की जाती है। कुत्तों को वफादार और रक्षक माना जाता है।
तीसरा दिन (लक्ष्मी पूजा): इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। घरों को दीपों से सजाया जाता है और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
चौथा दिन (गोवर्धन पूजा): इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। गोवर्धन पर्वत को कृष्ण द्वारा उठाए जाने के लिए जाना जाता है।
पांचवा दिन (भाई टीका): इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
तिहार के दौरान की जाने वाली
नेपाल में कुत्तों की क्यों होती है पूजा
कुत्तों को हिंदू धर्म में यमराज के दूत माना जाता है। यमराज मृत्यु के देवता हैं। कुत्तों की पूजा करके लोग यमराज को प्रसन्न करते हैं। कुत्ते अपनी वफादारी के लिए जाने जाते हैं। इस दिन कुत्तों को सम्मानित करके लोग वफादारी के गुण को महत्व भी देने की परंपरा है।
इस दिन कुत्तों की पूजा करके नेपाल के लोग अपनी सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
कुकुर तिहार के दिन कुत्तों को तिलक लगाया जाता है । फूलों की माला पहनाई जाती है उन्हें विशेष भोजन और मिठाइयां खिलाई जाती हैं। कुत्तों की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।
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