रांची : झारखंड
@ The Opinion Today
जून में हुए लोक सभा चुनाव 2024 में बीजेपी बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई थी। चुनावी परिणाम की समीक्षा करते हुए पार्टी नए सिरे से सोच विचार को मजबूर हुई। चुनावी परिणाम ने कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी असर डाला था।
फिर 8 अक्टूबर की देर शाम हरियाणा में अवाक् करने वाली जीत से बीजेपी कार्यकर्ताओं की उदासी टूटी । इस जीत से पार्टी को एक मंत्र मिला जो उसे महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों में जीत दिलाने का काम कर सकता है। बताने की जरूरत नहीं की हरियाणा वह राज्य था जहां लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें 2019 में 10 से घटकर घटकर 5 हो गई थी।
हरियाणा में जीत से बीजेपी को एक नया चुनावी मॉडल मिला जो अगले विधानसभा चुनावों में भी काम आ सकता था।
हरियाणा जीत के मॉडल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का काडर को फिर से साबित कर दिया जिसने पांसा पलटने में अहम भूमिका निभाई।
हरियाणा की तरह ही झारखंड में आरएसएस और आनुषंगिक संगठनों को चुपचाप लक्षित अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही बीजेपी ने जून महीने में सभी मामलों की देखरेख के लिए मजबूत टीम बनाई थी। जिसमें झारखंड के लिए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और साथ में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को नियुक्त किया गया था।
हरियाणा की तरह झारखंड में भी बीजेपी ने राज्य सरकार की विफलता, ओबीसी वोट बैंक और नेरेटिव सेट कर चुनाव जीतने का प्लान बनाया है।
इसके अलावा लोक सभा चुनाव के दौरान बीजेपी के खिलाफ दलित मतदाताओं के लिए अलग से रणनीति बनाई गई है जिसमें अनुसूचित जाति की 9 सीटों को विशेष स्थान दिया गया है।
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