वामपंथी उग्रवाद पर केंद्र की जीरो टॉलरेंस नीति

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रांची : झारखंड

@ The Opinion Toda

बुनियादी विकास और सकारात्मक बदलाव पर जोर।

नक्सल प्रभाव पश्चिम सिंहभूम, अन्य वामपंथी प्रभाव लातेहार में शेष।

झारखंड: वामपंथी उग्रवाद से तीन वर्षों में गई 294 जानें।

भारत सरकार ने 2015 में माओवादी हिंसा को खत्म करने के लिए एक व्यापक ‘राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना’ तैयार किया।
केंद्र की सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नक्सलवाद, सुदूरवर्ती इलाकों एवं जनजातीय गांवों के विकास में एक बड़ी बाधा है।
यह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कनेक्टिविटी, बैंकिंग और डाक सेवाओं को गांवों तक पहुंचने से रोकता है।

अप्रैल 2018 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 90, जुलाई 2021 में 70 और अप्रैल-2024 में 38 रह गई।

नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 रह गई है। इनमें छत्तीसगढ़ के चार जिले (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा), झारखंड का एक जिला (पश्चिमी सिंहभूम) और महाराष्ट्र का एक जिला (गढ़चिरौली) शामिल है।

कुल 38 प्रभावित जिलों में से, चिंता वाले जिलों की संख्या, जहां गंभीर रूप से प्रभावित जिलों से परे अतिरिक्त संसाधनों को पुरजोर तरीके से प्रदान करने की आवश्यकता है, 9 से घटकर 6 हो गई है। ये 6 जिले हैं: आंध्र प्रदेश (अल्लूरी सीताराम राजू), मध्य प्रदेश (बालाघाट), ओडिशा (कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी) और तेलंगाना (भद्राद्री-कोठागुडेम)।

नक्सलवाद के विरुद्ध निरंतर कार्रवाई के कारण, अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या भी 17 से घटकर 6 रह गई है। इनमें छत्तीसगढ़ (दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी), झारखंड (लातेहार), ओडिशा (नुआपाड़ा) और तेलंगाना (मुलुगु) के जिले शामिल हैं।
पिछले 10 वर्षों के दौरान, 8,000 से अधिक नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता त्याग दिया है।

देश में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाएं :

  • 2010 में 1936
  • 2024 में 374
    (नक्सली हिंसा में 81 प्रतिशत की कमी ) इस अवधि के दौरान, कुल मौतों की संख्या (नागरिकों + सुरक्षा बलों) भी 85 प्रतिशत घट गई और यह 2010 में 1005 से घटकर 2024 में 150 रह गई है।

दिसंबर 2023 में, एक साल के भीतर 380 नक्सली मारे गए, 1,194 गिरफ्तार किए गए और 1,045 ने आत्मसमर्पण कर दिया।

पिछले तीन वर्षों के दौरान झारखंड में वामपंथी उग्रवाद द्वारा की गई हिंसा (दर्ज मौतों की संख्या) का ब्योरा : 2022 96 / 2023 129 / 2024 69

Theopiniontoday

उग्रवाद से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना (2015)

सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना : वर्ष 2014-15 से 2024-25 के दौरान इस योजना के अंतर्गत 3260.37 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

विशेष केन्द्रीय सहायता (एससीए) : योजना को 2017 में मंजूरी दी गई थी और इसे ‘पुलिस बलों के आधुनिकीकरण’ की व्यापक योजना की उप-योजना के रूप में क्रियान्वित किया जा रहा है। 2017 में योजना की शुरुआत से अब तक 3,563 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस): एसआईएस के अंतर्गत 1741 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। इस योजना के तहत 221 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 10 राज्यों में 400 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं। पिछले 10 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 612 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं। यह स्थिति 2014 के विपरीत है जब केवल 66 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन थे।

सिविक एक्शन प्रोग्राम (सीएपी): इस योजना के तहत, वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सीएपीएफ को स्थानीय लोगों के कल्याण के उद्देश्य से विभिन्न नागरिक गतिविधियों के संचालन के लिए धनराशि जारी की जाती है। 2014-15 से सीएपीएफ को 196.23 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

मीडिया योजना : इस योजना के तहत आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम, रेडियो जिंगल्स, वृत्तचित्रों, पर्चे आदि जैसी गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। 2017-18 से इस योजना के तहत 52.52 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

दूरसंचार संपर्क: 10,505 मोबाइल टावरों की योजना बनाई गई है, जिनमें से 7,768 टावर चालू हो चुके हैं। 1 दिसंबर, 2025 तक पूरा नक्सल प्रभावित क्षेत्र मोबाइल संपर्क से युक्त हो जाएगा।

आकांक्षी जिला: गृह मंत्रालय को 35 एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में आकांक्षी जिला कार्यक्रम की निगरानी का काम सौंपा गया है।

कौशल विकास और शिक्षा: एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में 48 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और 61 कौशल विकास केंद्र (एसडीसी) क्रियाशील किए गए हैं। 178 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) क्रियाशील किए गए हैं। कौशल विकास योजना सभी 48 जिलों तक पहुंच गई है। 1,143 आदिवासी युवाओं को सुरक्षा बलों में भर्ती किया गया।
280 नए शिविर स्थापित किए गए हैं, 15 नए संयुक्त कार्य बल बनाए गए हैं, तथा राज्य पुलिस की सहायता के लिए 6 सीआरपीएफ बटालियनों को तैनात किया गया है।

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ : 2 अक्टूबर, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड से ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ की शुरुआत की। यह अभियान 15,000 से अधिक गांवों में ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण संतृप्ति हासिल करने के लिए व्यक्तिगत सुविधाएं प्रदान करने में एक मील का पत्थर साबित होगा, जिससे एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों को लाभ होगा। सरकार एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में 3-सी (कनेक्टिविटी यानी संपर्क) यानी सड़क संपर्क, मोबाइल संपर्क और वित्तीय संपर्क को मजबूत कर रही है।

2014 में 330 पुलिस थाने ऐसे थे जहां नक्सली घटनाएं हुईं, लेकिन अब ये संख्या घटकर 104 रह गई है। पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्र 18,000 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा में फैला था, जो अब सिर्फ 4,200 वर्ग किलोमीटर में फैला है। 2004 से 2014 के बीच नक्सल हिंसा की कुल 16,463 घटनाएं हुईं। हालांकि 2014 से 2024 के दौरान हिंसक घटनाओं की संख्या 53 प्रतिशत घटकर 7,744 रह गई है। इसी तरह सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या भी 73 प्रतिशत घटकर 1,851 से 509 रह गई है। 2014 तक कुल 66 फोर्टिफाइड थाने थे, लेकिन पिछले 10 सालों में इनकी संख्या बढ़कर 612 हो गई है। पिछले 5 सालों में कुल 302 नए सुरक्षा शिविर और 68 नाइट लैंडिंग हेलीपैड स्थापित किए गए हैं।

 

#NaxalFreeBharat #ZeroToleranceToTerrorism


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