रांची : झारखंड
@The Opinion Today
WHO के अनुमान के मुताबिक हर साल चागास की बीमारी (Chagas disease) से 12,000 लोग मर जाते हैं और 10 करोड़ से अधिक लोगों पर बीमारी का खतरा बना रहता है। दुनिया भर में हर साल 14 अप्रैल को विश्व चागास रोग दिवस मनाया जाता है। भारत में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस कम जानकारी वाले रोग के प्रति व्यापक जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया है।
चागास को खामोश बीमारी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि अधिकतर संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं होते या बहुत हल्के लक्षण होते हैं। चागास रोग एक प्रोटोजोआ परजीवी (ट्रिपैनोसोमा क्रूजी) के संक्रमण के कारण होता है।
वैसे तो यह रोग महाद्वीपीय लैटिन अमेरिका की गरीब आबादी में सबसे ज्यादा प्रचलित है, लेकिन अन्य देशों और महाद्वीपों में भी यह तेजी से फैल रहा है।
यह ट्राइएटोमाइन बग के साथ-साथ खाद्य पदार्थों, गर्भावस्था या जन्म के दौरान रक्त या रक्त के उत्पादों, अंग प्रत्यारोपण और प्रयोगशाला दुर्घटनाओं के माध्यम से फैल सकता है। चगास रोग का इलाज संभव है यदि एंटीपैरासिटिक उपचार तीव्र चरण में जल्दी शुरू किया जाए।
चागास रोग का नाम ब्राजील के चिकित्सक और शोधकर्ता कार्लोस चागास के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 14 अप्रैल 1909 को पहली बार किसी व्यक्ति में इस रोग का पता लगाया था।
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