रांची : झारखंड
@ The Opinion Today
इको-फ्रेंडली , एनवायरनमेंट फ्रेंडली जैसे कई शब्द है जिससे हम हरदिन बावस्ता होते है। आज पूरा विश्व पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है फिर चाहे विकसित अर्थव्यवस्था हो , विकासशील देश या फिर थर्ड वर्ल्ड कंट्री। पर्यावरण को लेकर सब के अपने-अपने तर्क है और इससे निपटने का तरीका। ऐसे मे “गोमा” जो कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्व मे स्थित है वहाँ इस्तेमाल किया जाने वाला “चुकुडु स्कूटर” अपने आप मे विशेष है।
चुकुडु जिसे चिकुडु, चोकौडौ या त्सुकुडु भी कहा जाता है। यह एक दो-पहिया हाथ से बना लकड़ी का वाहन है, और इसका उपयोग माल ढ़ोने के लिए किया जाता है और यह “स्थानीय परिवहन प्रणाली की रीढ़” भी है।
चुकुडु में लकड़ी से बना एक कोणीय फ्रेम, दो छोटे पहिये जो लकड़ी के बने होते है और कभी-कभी ऊपर रबर से लिपटे हुए होते है. लकड़ी का हैंडलबार और इसे चलाने वाले के लिए एक लकड़ी का पैड होता है, जिस पर “चुकुडु स्कूटर” को चलाने वाला अपने पैर से वाहन को आगे बढ़ाते समय अपना घुटना रख सकता है। इसमे रबर का बना मड फ्लैप और शॉक एब्जॉर्बर स्प्रिंग्स भी जोड़े जाते हैं।
1970 के दशक में उत्तरी किवु में मोबुतु सेसे सेको के शासन काल में जब देश मे कठिन आर्थिक समय उत्पन हुई तब इस दौरान पहली बार “चुकुडु स्कूटर” क दिखाई दिए थे।
2008 में, “चुकुडु स्कूटर” के कीमत 100 अमेरिकी डॉलर थे और इसे बनाने का खर्च लगभग 60 अमेरिकी डॉलर थी। वही 2014 में इसे 50 से 100 डॉलर मे बेचा जा रहा था और प्रतिदिन इससे लगभग 10 डॉलर तक की कमाई भी हो जाती थी, जबकि उस इलाके में ज़्यादातर लोगों के प्रतिदिन आय 2 डॉलर से भी कम थी। साल 2014 के एक आंकड़े के अनुमान इसकी लागत लगभग 150 अमेरिकी डॉलर हो गई थी, जिसे एक ड्राइवर प्रतिदिन 10-20 डॉलर कमा कर लगभग छह महीने में पैसे चुका सकता था।
चुकुडू को कठोर मुंबा लकड़ी और नीलगिरी की लकड़ी से बनाया जाता हैं, जिसमें पहियों के लिए लकड़ी और पुराने (स्क्रैप) टायर का प्रयोग होता हैं। चुकुडु स्कूटर को बनाने में एक से तीन दिन का समाया लगता है और यह 2 से 3 साल तक चलते हैं। आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला आकार लगभग साढ़े छह फीट लंबा होता है, और लगभग 450 किलोग्राम तक का भार उठा सकता है। हालाँकि, सबसे बड़ा चुकुडू 800 किलोग्राम तक का भार भी उठा सकता है। एक छोटा आकर के चुकुडु स्कूटर को लगभग तीन घंटे में बनाया जा सकता है।
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