विलुप्त हो रहा फगुआ का फाग, फीकी पड़ रही होली

holi 2025

रांची : झारखंड

@The Opinion Today

गांव टोलों में फाल्गुन मास के प्रारम्भ होते ही बड़े बुजुर्ग युवाओं के साथ बैठकी किया करते थे। जिसमें ढ़ोल व तबले की थाप और झाल मंजीरा, किर्री, हरमुनियाँ की धुन के साथ जब बुजुर्गों का स्वर “आयो फागुन के महीना मिलन के दिन अब सब मिल के खेलब रंग अबीर ग़ुलाल की होली” भोला बाबा बड़ा अजगबिया हो, आज ब्रज में होली रे रसिया जैसे अनेक गीतों के साथ एक स्वर में झूमते थे तो पूरा गांव फाग का स्वर गुंजायमान होते ही ग्रामीण झूम उठते और उसी स्वर में वो भी गुगुना उठते थे। ज्ञात हो कि आज के दो दसक पूर्व पूरा फाल्गुन माह में सुबह शाम होली गायन हुआ करता था।जिससे गांव मुहल्लों में सामाजिक समरसता बरकरार रहता था।

पारम्परिक वाद्ययंत्रो के साथ एक टोली गांव टोलों घुम घूम कर होली गायन एक माह तक लगातार किया करते थे जो गांव के प्रत्येक घरों में फाग गाते जहां टोली में शामिल लोगों के लिए सौंफ मिश्री गड़ी छुहाड़ा लौंग इलाची जैसे पचमेवा के अलावे पान भाँग इत्यादि सप्रेम परोसा जाता था।टोली जब भ्रमण कर होली गाते तो होली सामाजिक समरसता के साथ झूमते लोगों को देखने से ऐसा प्रतीत होता था कि हमारे यहां मथुरा की होली खेली जा रही जो देखने लायक हुआ करता था। जो आज हमारे सिमरिया क्षेत्र से विलुप्त के कगार पर है।उक्त संबंध में समाजसेवी कमाख्या सिंह ने बताया कि हमलोगों के समय का होली प्रेम स्नेह व सामाजिक समरसता का होली हुआ करता था।

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अमीर गरीब ऊंच नीच का कोई भेदभाव नहीं होता था, अपने से बड़ों को भभुत लगाकर चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हुए होली प्रारम्भ करते और एक दूसरे के घरों में जाकर लोक महापर्व होली पर स्नेह प्रेम एक दूसरे खुशियाँ बांटते थे, और प्राकृतिक रंगों के साथ होली खलते थे।और जा की होली मदिरा पान की होली खेली जाती है। जो सामाजिक समरसता में खट्टास डाल रहा है। आज के युवा सामाजिक समरसता से परे रह कर त्योहारों को मनाते हैं जिनमें त्यौहार मनाने के प्रति कम और मदिरा पान करने को लेकर ज्यादा उत्साहित रहते हैं। आगे उन्होंने बताया कि हमलोगों की टोली स्व. अब्दुल मियां के घर पर पहुंच कर होली गायन किया करते थे जहाँ जबरदस्त खातिरदारी हुआ करता था जो सामाजिक समरसता को दर्शाता था।हमलोग अपने समय में त्योहारों को सामाजिक समरसता को बरकरार रखने के लिया राजनीत से दूर रहा करते थे परंतु आज त्योहारों पर ही राजनीत होने लगी है। जिसके कारण आज के त्यौहार में कोई रस नहीं रह रहा है। जिसे लेकर उन्होंने युवाओं से अपील के संदेश देते हुए कहा कि त्यौहार को राजनीत से दूर रह कर सामाजिक समरसता के साथ मनाएं।

 


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