IAS पूजा सिंघल की जमानत में धारा 479 वरदान साबित कैसे हुई

Puja_singhal

रांची : झारखंड

@ The Opinion Today

 

BNSS की धारा 479 की चर्चा क्यों हो रही है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS )भारत में मूल आपराधिक कानून के प्रशासन से जुड़ा मुख्य कानून है । यह दंड प्रक्रिया संहिता, CRPC 1973 की जगह लेने के लिए बनाया गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू होने के बाद एक बार फिर से चर्चा में है। झारखंड कैडर की IAS अधिकारी पूजा सिंघल झारखंड में मनरेगा घोटाले में नाम आने के बाद से पिछले 28 महीने से जेल में बंद थी। उन पर मनरेगा घोटाले की राशि का मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है।

BNS की धारा 479 की चर्चा क्यों हो रही है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता BNS की धारा 479 का हवाला देते हुए पूजा सिंघल ने PML कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी। अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि पूजा सिंघल सिर्फ मनी लाउंड्रिंग मामले में आरोपी है और उसने इस मामले में अधिकतम सजा का एक तिहाई 28 महीने कस्टडी में रहते हुए काट चुकी है। 6 दिसंबर को पूजा सिंघल का 28 महीना पूरा हो चुका था। इसको देखते हुए अदालत ने 7 दिसंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद तत्काल जमानत की सुविधा प्रदान की।
पूजा सिंघल गिरफ्तारी के बाद दो साल 6 महीने 26 दिन बाद पूरी तरह से जेल से बाहर निकली। ईडी ने पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया था।

धारा 479 में क्या हैं प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 479 के तहत, विचाराधीन कैदियों को हिरासत में रखने की अधिकतम अवधि के बारे में बताया गया है। यह प्रावधान उन लोगों पर लागू होता है जिन पर ऐसे अपराधों का आरोप है जिनमें सज़ा में मौत या उम्रकैद नहीं है।
यह प्रावधान, जो दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 436A की जगह लेता है। कुछ शर्तों के अधीन यह धारा विचाराधीन कैदियों को ज़मानत पर रिहा करने की अनुमति देता है। उच्चतम न्यायालय का मानना है कि नई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 479 जेलों में भीड़भाड़ की समस्या से निपटने के लिये एक महत्त्वपूर्ण साधन है।

3 नए कानून और प्रावधान

1 जुलाई, 2024 से प्रभावी भारत के नए तीन नए कानून IPC,CRPC और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो गए। तीन नए कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकी (FRI) से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है।

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