रांची : झारखंड
@ The Opinion Today
डिजिटल अरेस्ट का बढ़ता फंदा अब छोटे शहरों को भी असुरक्षित कर रहा है।
नालंदा मेडिकल कॉलेज NMCH के सेवानिवृत्त चिकित्सक को डिजिटल अरेस्ट कर 74 लाख रुपए ठगी के मामले के बाद तो यही लगता है।
ED का नाम लेकर हुई ठगी के बाद देश की जांच एजेंसियां डिजिटल धोखाधड़ी के नए तरीके की गंभीरता को समझ पा रही हैं। I4Cभारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के अनुसार इस साल के पहले 4 महीनों में देश में ‘डिजिटल अरेस्ट’ में फंसकर लोगों ने 120 करोड़ रुपए गंवाए हैं।
सीबीआई, इडी और कोर्ट रूम नाम से आए वीडियो कॉल आपको सम्मोहित करने के लिए काफी है। जो आपको वित्तीय लेन देन और अन्य अनगिनत अपराधों में आपकी संलिप्तता साबित करने में सफल हो जाते हैं।
डिजिटल स्टिंग का सहारा
डिजिटल अरेस्ट में सबसे बड़ी भूमिका डिजिटल स्टिंग का है।
जिसमें तकनीक और उपकरण के साथ पीड़ित के डर का भरपूर फायदा उठाया जाता है। इसकी शुरुआत एक फोन कॉल से होती है । फिर वीडियो कॉल और आपसे जुड़ी निजी जानकारी का आदान प्रदान।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें
- लालच में ना आएं
- खुद जागरूक बनें
- अनजान क्यूआर कोड ना करें स्कैन
- खातेदारों की जांच और वेरिफिकेशन कराएं
- ध्यान रखें ED,CBI और पुलिस फोन पर नहीं करती अरेस्ट
सतर्क रहे , जागरूक रहे और जागरूक करे
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