रांची : झारखंड
@The Opinion Today
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों के लिए नए सत्र से एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर निर्देश जारी किया है कि यूजी-पीजी पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान प्रणाली को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। अब छात्रों को अपनी डिग्री के लिए आवश्यक कुल क्रेडिट में से कम से कम 5 प्रतिशत क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली से अर्जित करने होंगे।
पत्र में लिखा है कि कुल क्रेडिट में से 50 फीसदी प्रमुख विषयों (मेजर डिसिप्लिन) से होने जरूरी होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में IKS के समावेशन हेतू यह दिशा-निर्देश है। इसके तहत स्नातक और स्नातकोत्तर पाठयक्रमों के छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यूजी और पीजी पाठयक्रमों के छात्रों को कुल क्रेडिट में से पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के बाद अर्जित करने होंगे।
यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर को भी भारतीय ज्ञान प्रणाली के तहत प्रशिक्षण दे रहा है। इसका मकसद युजी और पोजी पाठयक्रमों में पढ़ाई से पहले शिक्षकों को भी तैयार करना है।
यूजीसी का यह कदम भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी और समृद्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस पहल से न केवल छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर पहचान भी मिलेगी। विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द अपने पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान प्रणाली से संबंधित विषयों को लागू करें, ताकि छात्र इसका लाभ उठा सकें।
भारतीय ज्ञान प्रणाली के अंतर्गत वेद, उपनिषद, आयुर्वेद, योग, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, भारतीय गणित, तर्कशास्त्र, साहित्य, कला, दर्शन और प्राचीन विज्ञान की विभिन्न धाराओं को पढ़ाया जाएगा। छात्रों को इन विषयों से जुड़े पाठ्यक्रमों का अध्ययन करना होगा और 5% क्रेडिट प्राप्त करने होंगे।
यूजीसी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षक भारतीय ज्ञान प्रणाली को प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे अपने विषयों में भारतीय ज्ञान प्रणाली को जोड़कर छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर सकें।
यूजीसी का यह कदम भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी और समृद्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस पहल से न केवल छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर पहचान भी मिलेगी।
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