रांची : झारखंड
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भारत के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 7.93 प्रतिशत की कमी।
भारत ने जलवायु परिवर्तन पर चौथी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को (बीयूआर-4) 30 दिसंबर, 2024 को प्रस्तुत कर दी। बीयूआर-4 तीसरे राष्ट्रीय संचार (टीएनसी) को अपडेट करता है और इसमें वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) की सूची शामिल है। रिपोर्ट में भारत की राष्ट्रीय परिस्थितियों, शमन कार्यों, बाधाओं, अंतरालों, संबंधित वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण आवश्यकताओं के विश्लेषण के बारे में भी जानकारी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में भारत ने कुल जीएचजी उत्सर्जन में 2019 के मुकाबले 7.93 प्रतिशत की कमी की है। भूमि उपयोग, भूमि-उपयोग परिवर्तन और वानिकी (एलयूएलयूसीएफ) को छोड़कर उत्सर्जन 2,959 मिलियन टन सीओ2ई था और एलयूएलयूसीएफ को शामिल करने के साथ शुद्ध उत्सर्जन 2,437 मिलियन टन सीओ2ई था। ऊर्जा क्षेत्र ने कुल उत्सर्जन में सबसे अधिक (75.66 प्रतिशत), उसके बाद कृषि (13.72 प्रतिशत), औद्योगिक प्रक्रिया और उत्पाद उपयोग (8.06 प्रतिशत) और अपशिष्ट (2.56 प्रतिशत) का योगदान रहा। वर्ष 2020 में भारत के वन और वृक्ष आवरण ने अन्य भूमि उपयोग के साथ लगभग 522 मिलियन टन सीओ2 को अलग किया, जो 2020 में देश के कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के 22 प्रतिशत को कम करने के बराबर है।
एनडीसी लक्ष्यों के संबंध में भारत की उपलब्धियां:
भारत ने जीएचजी उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग करना जारी रखा है। वर्ष 2005 से 2020 के बीच भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता में 36 प्रतिशत की कमी आई है।
अक्टूबर 2024 तक स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी 46.52 प्रतिशत थी। बड़े जलविद्युत सहित अक्षय ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 203.22 गीगावॉट है और संचयी अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता (बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को छोड़कर) मार्च 2014 के 35 गीगावॉट से 4.5 गुना बढ़कर 156.25 गीगावॉट हो गई है।
भारत का वन और वृक्ष आवरण लगातार बढ़ा है और वर्तमान में यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है। वर्ष 2005 से 2021 के दौरान 2.29 बिलियन टन सीओ2 समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया है।
ऐतिहासिक उत्सर्जन में भारत के बहुत कम योगदान और वैश्विक उत्सर्जन के वर्तमान स्तरों के बावजूद भारत ने सतत विकास और इसकी विकास की आकांक्षाओं के संदर्भ में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सक्रिय कार्रवाई की है। यह भारत की राष्ट्रीय परिस्थितियों के मद्देनजर है, जो यूएनएफसीसीसी और उसके पेरिस समझौते में निहित समानता और साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांतों को दर्शाता है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि भारत सतत विकास के क्षेत्र में एक उदाहरण पेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि ये संख्याएँ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक प्रगति को सार्थक जलवायु कार्रवाई के साथ जोड़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
India. Biennial update report (BUR). BUR 4.
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