रांची : झारखंड
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वूड वाइड वेब पेड़ पौधों का संचार विज्ञान
जानकर आश्चर्य होगा लेकिन सत्य है की पेड़ पौधों का भी अपना एक इंटरनेट नेटवर्क होता है। शोध से पता चला है कि प्रत्येक जंगल और लकड़ी के नीचे जड़ों, कवक और जीवाणुओं का एक जटिल भूमिगत जाल होता है जो पेड़ों और पौधों को एक दूसरे से जोड़ने में मदद करता है। लगभग 500 मिलियन वर्ष पुराना यह भूमिगत सामाजिक नेटवर्क “वुड वाइड वेब” के नाम से जाना जाता है। एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन ने इस रहस्यमयी दुनिया “माइकोराइजल कवक नेटवर्क” का पहला वैश्विक मानचित्र तैयार किया है। यह क्रांतिकारी खोज वन पारिस्थितिकी तंत्र और उनके संरक्षण के बारे में हमारी समझ को नया रूप दे रही है।
वुड वाइड वेब के केंद्र में तथाकथित माइकोरिज़ल कवक हैं, जो पेड़ों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाते हैं। ये कवक अपने धागे जैसे हाइफ़े, पंखदार तंतुओं को कवक बनाते हुए, मिट्टी में दूर तक फैलाते हैं, विभिन्न पेड़ों को जोड़ते हैं और एक विशाल भूमिगत नेटवर्क बनाते हैं।
वुड वाइड वेब एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में भी काम करता है। जब किसी पेड़ पर कीटों या रोगजनकों का हमला होता है, तो यह नेटवर्क के माध्यम से पड़ोसी पेड़ों को रासायनिक संकेत भेज सकता है। ये संकेत प्राप्त करने वाले पेड़ों को रक्षात्मक यौगिक बनाने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे वे संभावित हमलों के लिए तैयार हो जाते हैं। 1997 में कनाडा के शोध कर्ता सुजैन सीमर्ड ने इसका पता लगाया था।
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