रांची : झारखंड
@The Opinion Today
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को विशाखापत्तनम में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की आधारशिला रखी और शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विशाखापत्तनम विश्व के उन कुछ शहरों में शामिल होगा जहां बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन उत्पादन सुविधाएं होंगी। उन्होंने कहा, “ग्रीन हाइड्रोजन हब आंध्र प्रदेश में मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को भी मजबूती देगा। ग्रीन हाइड्रोजन, बल्क ड्रग पार्क और औद्योगिक हब जैसी योजनाएं राज्य को टेक्नोलॉजी और रोजगार के क्षेत्र में मजबूत बनाएंगी।
वैश्विक स्तर पर भारत के हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात की दिशा में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन अग्रणी महत्वकांक्षा का प्रतिक है। मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 50 लाख टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। यह मिशन एक बहुआयामी रणनीति के तहत लॉन्च किया गया है।
जिसमें मांग सृजन, आपूर्ति-पक्ष की मजबूती एवं सक्षम परितंत्र का निर्माण महत्वपूर्ण घटक हैं। इनके जरिये भारत में उत्पादित हरित हाइड्रोजन को घरेलू और निर्यात बाजारों दोनों स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने , उत्पादन और वितरण से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रोत्साहन ढांचे को लागू करना और बुनियादी ढांचे और तकनीकी प्रगति के माध्यम से पैमाने और विकास का समर्थन करना सुनिश्चित किया जायेगा।
2030 तक राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन अनुमानित लक्ष्य लगभग 125 गीगावॉट की अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा क्षमता के साथ प्रति वर्ष न्यूनतम 50 लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का लक्ष्य हासिल करना। प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन को शून्य स्तर पर लाना ताकि भारत नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर सके ।
वर्ष 2030 तक कम से कम 25 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि के साथ देश में ऊर्जा की मांग में तेजी से बढ़ रही है है। वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता स्थायी ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की तात्कालिकता को दर्शाती है।
जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित करने के लिए हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है। अक्षय ऊर्जा को हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया भी कहा जाता है। इससे बिजली का उपयोग करके इन ईंधनों का उत्पादन राष्ट्र के पर्यावरण संरक्षण के लिहाज़ से स्थायी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की सफलता भारत कि अर्थवयवस्था पर गहरा प्रभाव छोड़ेगी।
- डीकार्बोनाइजेशन: औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में भारी कमी ।
- आयात पर कम निर्भरता: आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटी, ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि।
- स्वदेशी विनिर्माण: हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में घरेलू क्षमताओं का विकास।
- रोजगार के अवसर: उत्पादन से उपयोग तक, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में 6 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन।
- तकनीकी नवाचार: देश के भीतर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और नवाचार संबंधी इकोसिस्टम को उन्नत करना।
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