रांची : झारखंड
@The Opinion Today
भौंहें सिकोड़ने से झुर्रियाँ पड़ती हैं, वहीं हँसने से मनमोहक झुर्रियाँ बनती हैं
“भौंहें सिकोड़ने से झुर्रियाँ पड़ती हैं, वहीं हँसने से मनमोहक झुर्रियाँ बनती हैं ” राष्ट्रीय हँसी दिवस 19 मार्च भी जीवन की मनमोहक झुर्रियों को दर्शाने वाला दिन है। हंसना सेहत के लिए कितना जरूरी है ये हम रोजमर्रा की व्यस्त जिंदगी में भूल ही जाते हैं। आज का दिन हँसी की कीमत समझने वाला दिन भी है।
दुनिया का सबसे पुरानाचुटकुला 1900 ईसा पूर्व का है। टेलीविजन शो के दौरान भी बीच बीच में हंसी के ट्रैक जोड़े जाते हैं ताकि दर्शकों को संकेत मिल सके कि उन्हें कब हंसना चाहिए और यह संकेत मिल सके कि कब कोई हास्यपूर्ण दृश्य होता है।हंसी ट्रैक का उपयोग करने वाला पहला अमेरिकी टेलीविजन शो 1950 में “द हैंक मैकक्यून शो” था।
“बात-बात पर मुस्कुराता है ये आदमी, किसी छोटे शहर से आया हुआ लगता है। साइंस की मानें तो कोई बच्चा अपने जन्म के तीन महीने बाद हंसना सीख जात है. लेकिन ये हंसी उम्र बढ़ने के साथ-साथ कहां गायब हो जाती है? विज्ञान कहता है कि डोपामाइन ही वो केमिकल है जो खुशी के लिए जिम्मेदार है।
जहाँ भौंहें सिकोड़ने से झुर्रियाँ पड़ती हैं, वहीं हँसने से मनमोहक झुर्रियाँ बनती हैं जो मांसपेशियों के लिए अच्छी होती हैं। ‘हँसी योग’ अब काफी लोकप्रिय गतिविधि है, जिसमें हँसी को मुख्य व्यायाम के रूप में इस्तेमाल करके चेहरे, पेट और फेफड़ों की मांसपेशियों को सक्रिय किया जाता है। हँसी से एंडोर्फिन भी निकलता है और शरीर में तनाव हार्मोन, कोर्टिसोल भी कम होता है।
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