रांची : झारखंड
@The Opinion Today
भारत के किसान फसल उगाने का निर्णय आर्थिक पक्ष को ध्यान में रखकर करते हैं। चावल की खेती में भी आर्थिक पक्ष की प्रधानता है। जलवायु परिवर्तन की मार ने भारत में धान की पारंपरिक खेती करने वाले किसानों के लिए इसे ज्यादा जोखिम वाली खेती बना दिया है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित ताजा अध्ययन के मुताबिक भारत में चावल की खेती के बदले वैकल्पिक अनाज उत्पादन जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले उत्पादन नुकसान को कम करने और आय बढ़ाने में मददगार हो सकता है।
बाजरा, मक्का और ज्वार जैसे अनाज जलवायु प्रतिरोधी हैं और शुद्ध लाभ दिलाने में सहायक भी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चावल पर भारत की निर्भरता है एवं जलवायु परिवर्तन विविधता को देखते हुए लचीलापन बढ़ाने की आवश्यकता है
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