रांची : झारखंड
@ The Opinion Today
भारत का हथकरघा उद्योग 35 लाख लोगों को देता है रोजगार
केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के “विरासत साड़ी महोत्सव 2024” के तीसरे संस्करण में देश के विभिन्न हिस्सों की हथकरघा साड़ियों पर विशेष ध्यान देते हुए देश भर के हथकरघा बुनकरों, साड़ी डिजाइनरों और साड़ी प्रेमियों और खरीदारों को एक साथ लाने का प्रयास किया है। 15 से 28 दिसंबर तक नई दिल्ली में जनपथ के हैंडलूम हाट में विरासत साड़ी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।कार्यक्रम का उद्वेश्य भारत की हथकरघा विरासत को प्रदर्शित करना है।आयोजन हथकरघा क्षेत्र की परंपरा और क्षमता दोनों का उत्सव है । इस आयोजन से साड़ी बुनाई की सदियों पुरानी परंपरा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित होने की संभावना है और इससे हथकरघा समुदाय की कमाई में सुधार होगा।
हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक होने के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोगों, विशेषकर महिलाओं को रोजगार प्रदान करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। भारत का हथकरघा क्षेत्र 35 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। हथकरघा बुनाई की कला के साथ पारंपरिक मूल्य जुड़े हुए हैं और प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट किस्में हैं। पैठानी, कोटपाड, कोटा डोरिया, तंगेल, पोचमपल्ली, कांचीपुरम, तिरुबुवनम, जामदानी, शांतिपुरी, चंदेरी, माहेश्वरी, पटोला, मोइरंगफी, बनारसी ब्रोकेड, तनचोई, भागलपुरी सिल्क, बावन बूटी, पश्मीना साड़ी आदि जैसे हथकरघा उत्पादों की विशिष्टता विशिष्ट कला, बुनाई, डिज़ाइन और पारंपरिक रूपांकनों के साथ दुनिया भर से साड़ी प्रेमियों को आकर्षित करती है।
भारत सरकार ने उत्पादों की विशिष्टता को उजागर करने के अलावा, उत्पादों को प्रोत्साहित करने और उन्हें अलग पहचान देने के लिए शून्य दोष और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव एवं उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की ब्रांडिंग के उद्देश्य से हथकरघा के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं। यह खरीदार को यह गारंटी भी देता है कि खरीदा जा रहा उत्पाद वास्तव में हाथ से बुना गया है। प्रदर्शनी में सभी प्रदर्शकों को अपने उत्कृष्ट उत्पाद प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और इस कार्यक्रम का उद्देश्य हथकरघा साड़ियों के बाजार और हथकरघा समुदाय की कमाई में सुधार करना है।
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