राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस: एक बिहारी जिसने भारत में फार्मेसी शिक्षा का जगाया अलख

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रांची : झारखंड

@The Opinion Today

प्रो ० महादेव लाल श्रॉफ जिनकी याद में मनाया जाता है राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस

भारतीय फार्मेसी शिक्षा के वास्तुकार : प्रो. महादेव लाल श्रॉफ के योगदान को यद् करते हुए प्रतिवर्ष 6 मार्च को राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस मनाया जाता है। वह भारत में फार्मेसी शिक्षा के जनक के तौर पर जाने जाते हैं। वह निश्चित रूप से इस देश में काम करने वाले सभी फार्मासिस्टों के लिए उनकी शाखाओं और कर्तव्यों की विविधता के बावजूद एक आदर्श बने हुए हैं। उन्होंने भारत में फार्मेसी शिक्षा के निर्माण में महान भूमिका निभाई, उन्होंने फार्मेसी पेशे के अन्य पहलुओं के विकास में भी योगदान दिया। महादेव लाल श्रॉफ का जन्म 6 मार्च, 1902 को बिहार के दरभंगा में हुआ था।

प्रोफेसर श्रॉफ ने अपने प्रयासों से 1940 में बी.एच.यू. में एम.फार्मा की शिक्षा प्रारम्भ की थी. धीरे-धीरे भारत में विभिन्न स्थानों पर फार्मेसी शिक्षा का प्रसार हुआ. बता दें कि महादेव लाल श्रॉफ का जन्म बिहार के दरभंगा शहर में 6 मार्च 1902 को हुआ था. 25 अगस्त 1971 को उनका निधन हुआ था।

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नमक सत्याग्रह में 6 माह की जेल।

प्रो o श्रॉफ केवल फार्मेसी शिक्षा में योगदान के कारण याद कीजिए जाते है ऐसा नहीं है उनके अंदर देशभक्ति की भावना भी कूट कूट कर भरी थी। श्री जमनालाल बजाज की प्रेरणा से उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू किया।
मार्च 1930 में भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर के खिलाफ ‘नमक सत्याग्रह’ शुरू हुआ, तो श्रॉफ बिहार में हुए आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और छह महीने की जेल हुई। वे छह महीने तक हजारीबाग जेल में रहे, क्योंकि ब्रिटिश शासन की नो प्ली, नो प्लीडर, नो अपील नीति सत्याग्रहियों के साथ सख्ती से पेश आती थी। जेल से लौटने पर श्री बजाज ने अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा को राजनीतिक गतिविधियों में इस्तेमाल करने के बजाय किसी शैक्षणिक क्षेत्र में उपयोग करना बेहतर समझा।

फार्मेसी शिक्षा के महामना

प्रो. श्रॉफ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्टाफ में शामिल होने के बाद मालवीय जी को आने वाले वर्षों में भारत में फार्मास्युटिकल साइंस के पाठ्यक्रमों की महान क्षमता और संभावनाओं के बारे बताया , महान दूरदर्शी मालवीय जी को प्रस्ताव के महत्व को समझने में अधिक समय नहीं लगा और उनके संरक्षण में प्रो. श्रॉफ ने पहली बार भारत में फार्मास्युटिकल शिक्षा को व्यवस्थित करने का कार्य किया। उन्होंने इस परियोजना के लिए धन इकट्ठा करने का भी बीड़ा उठाया और इस तरह 1932 में पहली बार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री का खंड स्थापित करने में सफल रहे, 1937 से बीएचयू में पूर्ण विकसित फार्मास्यूटिक्स विभाग का विकास किया। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की शिक्षा प्रणाली के बराबर आधुनिक फार्मास्युटिकल शिक्षा की शुरुआत थी। इस प्रकार प्रो. श्रॉफ ने इस देश में फार्मास्युटिकल शिक्षा की आधारशिला रखी। इसके बाद, प्रो. श्रॉफ की गतिशीलता ने भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक तूफान खड़ा कर दिया। भारतीय फार्मेसी स्वर्गीय प्रोफेसर महादेव लाल श्रॉफ के प्रति बहुत आभारी है, जिन्होंने पहली बार इस देश में फार्मेसी शिक्षा को उत्कृष्ट बनाया और घरेलू जरूरतों के साथ-साथ विदेशों की मांगों के लिए प्रशिक्षित जन शक्ति प्रदान की।

 


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