रांची : झारखंड
@The Opinion Today
RBI के मासिक बुलेटिन में जलवायु परिवर्तन के कारण खेती का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होने पर चिंता जताई गई है।
बुलेटिन में कहा गया है कि अत्यधिक या अपर्याप्त वर्षा जैसी चरम मौसमीय संबंधी घटनाओं के कारण फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है, जिससे उत्पादन में बाधा उत्पन्न होती है और परिणामस्वरूप उपज में कमी आती है।
रिपोर्ट के अनुसार चरम मौसम की घटनाओं का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि फसल उत्पादन चक्र अलग-अलग होते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक अब भी भारतीय खेती पूरी तरह से मानसून पर ही निर्भर है। तमाम प्रकार की सिंचाई परियोजनाओं के जाल बिछाने और जलवायु परिवर्तन के असर से बचने के लिए तैयार नई किस्म के बीजों के बावजूद मानसूनी बारिश अब भी निर्णयाक बनी हुई है।
बारिश के पैटर्न बदलने या सूखा आदि पड़ने पर फसल का चक्र बदल जाता है और ऐसे में फसल में कीटों और फसलों से जुड़ी बीमारियां घेर लेती हैं।
पिछले साल यानी 2024 के 365 दिन में से 322 दिन मौसम में अति देखी गई जबकि 2023 में 318 दिन ऐसे थे। जब तक इन प्रतिकूल परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए अनुकूल नीतियां नहीं बनेंगी तब तक ऐसी घटनाओं दिनोदिन बढ़ती ही जाएंगी।
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