SEBI गाईड लाइन: कंपनियों को देना होगा पर्यावरण कार्यों का ब्यौरा।

Brsr report

रांची : झारखंड

@The Opinion Today

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड SEBI की गाइडलाइन के अनुसार सूचीबद्ध 1000 कंपनियों को पर्यावरण के क्षेत्र में किये जाने वाले कार्यों की रिपोर्ट समर्पित करनी होगी . यह वार्षिक रिपोर्ट पहले स्वैक्षिक थी जिसे अब अनिवार्य बनाया गया है . वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसको लेकर गजट भी प्रकाशित किया है ।नए नियम के अनुसार कंपनियों को तय फॉर्मेट में ही बीआरएसआर रिपोर्ट जमा करना होगा ।

BRSR रिपोर्ट क्या हैं ?

बिज़नेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट’ (BRSR) पर्यावरण, सामाजिक और शासन के दृष्टिकोण पर आधारित एक रिपोर्ट है, जिसका उद्देश्य व्यवसायों को अपने हितधारकों के साथ अधिक सार्थक रूप से संलग्न करने में सक्षम बनाना है। साथ ही यह कंपनी की प्रगति का सूचक भी है। रिपोर्ट के जरिये यह जाँचा जाता है कि एक कंपनी प्रकृति के साथ कैसे सामंजस्य बिठाती है।

ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 ने निहित शक्तियों के तहत कार्बन क्रेडिट व्यापार योजना को अब सेबी लागु कर रहा है जिसमें कंपनियों को अब यह बताना होगा की एक वर्ष में उन्होंने कितनी हरियाली बढ़ाई और उससे कितना ग्रीन हाउस उत्सर्जन कम हुआ है। ग्रीन हाउस उत्सर्जन रोकने की दिशा में किये गए नए उपायों से भी अवगत कराना होगा। वेस्ट मेनेजमेंट निष्पादन और बदलाव की भी चर्चा रिपोर्ट में करनी होगी।

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रिपोर्ट में करनी होगी इन बातों की चर्चा:

रिपोर्ट में प्लास्टिक वेस्ट, ई वेस्ट , बायो मेडिकल वेस्ट के अलावा पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) जैसी जानकारी देनी होगी।

PM 10 और PM 2.5 : पीएम-10 और पीएम 2.5 ही प्रदूषण फैलाने में सबसे बड़ा किरदार निभाते हैं. ये कण इतने छोटे होते हैं कि सांस के जरिए आसानी से हमारे फेफड़ों में पहुंच जाते हैं और सेहत के दुश्मन बन जाते हैं। आमतौर पर लोग इन कणों के बारे में नहीं जानते, लेकिन इससे बचाव के लिए इसे जानना बेहद जरूरी है। पीएम-2.5 का कण कितना छोटा होता है इसे जानने के लिए ऐसे समझिए कि एक आदमी का बाल लगभग 100 माइक्रोमीटर का होता है. इसकी चौड़ाई पर पीएम 2.5 के लगभग 40 कणों को रखा जा सकता है।

पीएम 10 को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास होता है. इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्‍ट्रक्‍शन और कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है। पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है. इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है।

 


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