रांची : झारखंड
@The Opinion Today
देश के 6वें प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बारे में दो बातें चर्चित हैं। पहला उनका जन्मदिन लिप इयर (29 फरवरी ) होना और दूसरा वह हर रोज अपने मूत्र (यूरिन) का सेवन किया करते थे। उनकी इस आदत को मोरारजी कोला कह कर मजाक भी बनाया गया। अपने 99 वर्ष के जीवन में उन्होंने 25 से कम बार अपना जन्मदिन मनाया। अब फिल्म अभिनेता और भाजपा नेगता परेश रावल इस वक्त कुछ इसी तरीके के बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा की घुटने की चोट से उबरने के लिए उन्होंने अपना पेशाब पिया था और ऐसा करने से उन्हें फ़ायदा हुआ था। 1978 में मोरारजी देसाई ने भी इसी विषय पर CBSE वीकली न्यूज मैगजीन को करीब घंटे भर का इंटरव्यू दिया था। वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई की लिखी किताब भारत के प्रधानमंत्री में तत्कालीन प्रधानमंत्री देसाई ने मूत्र सेवन को ‘जीवनदायक जल बताया था।
परेश रावल के दावे के बाद से यह विषय चर्चा में है की परेश रावल का दावा कितना सही है या ग़लत? परेश रावल ने भी मोरारजी देसाई की तरह ही अपना यूरिन पीने वाली इस थेरेपी को ‘शिवाम्बू’ कहा है। पेशाब पीने का जिक्र सबसे पहले आयुर्वेद और ‘शिवाम्बु कल्प विधि’ नामक ग्रंथ में एक चिकित्सा पद्धति के रूप में मिलता है अब सवाल है की मेडिकल साइंस की दुनिया में यह दावा कितना सही है ? मेडिकल साइंस में पेशाब को पीने की सलाह नहीं दी जाती है. ऐसा करना सेहत के लिए खतरनाक होता है, क्योंकि पेशाब में कई टॉक्सिक एलीमेंट्स होते हैं. हालांकि अभी तक इस की कोई जांच नहीं हुई है। डॉक्टर्स की माने तो यूरिन बॉडी का एक वेस्ट प्रोडक्ट है. वेस्ट प्रोडक्ट इस्तेमाल के लिए नहीं होता. इस कारण ही तो ये बॉडी से निकलता है. ये पिएंगे तो इससे फ़ायदा नहीं बल्कि स्वास्थ्य को नुक़सान हो सकता है। अब तक ऐसी कोई रिसर्च सामने नहीं आयी है जो यह बताती हो कि पेशाब पीने से फ़ायदा होता है।
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