रांची : झारखंड
@ The Opinion Today
झारखंड के 8000 से अधिक सरकारी प्राथमिक स्कूल में केवल एक शिक्षक।
झारखंड में 2016 से अब तक किसी भी नए शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। राज्य के 8000 से अधिक स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं ।
स्कूल शिक्षा पर जारी नई रिपोर्ट “एकल शिक्षक स्कूलों का संकट” में इन बातोंका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वंचित तबकों के बच्चों की पढ़ाई के लिए एकमात्र साधन इन स्कूलों की बदहाली दरअसल शिक्षा के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। कानून के अनुसार प्रत्येक 30 छात्रों पर कम-से-कम एक शिक्षक होना चाहिए। इसके साथ ही, हर प्राथमिक विद्यालय में कम से कम दो शिक्षक अनिवार्य हैं।
सर्वे रिपोर्ट में पाया गया कि अधिकतर स्कूलों में शिक्षक संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) पर नियुक्त हैं। इनमें से 78 फीसदी शिक्षक 40 वर्ष से अधिक आयु के हैं और केवल 15 फीसदी महिलाएं हैं। यह रिपोर्ट बच्चों के अधिकार, नीतियों की घोषणाओं और जमीनी हकीकत के बीच भयावह अंतर को दिखा रही है। रिपोर्ट बताती है कि इन 40 स्कूलों में आरटीई मानदंडों के अनुसार 99 शिक्षकों की जरूरत है, जबकि सिर्फ 40 ही शिक्षक मौजूद हैं।
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