अब कानून अन्धा नहीं है : न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटी, हाथ में अब संविधान

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नई दिल्ली : भारत

न्यायपालिका भी बदलाव की राह पर

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर न्याय की देवी की प्रतिमा बदली गई है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की लाइब्रेरी में इस नई प्रतिमा को लगाया गया है। पहले जहां न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी होती थी और एक हाथ में समानता का प्रतीक तराजु और दूसरे हाथ में तलवार जो सजा का प्रतीक था। जिसे अब बदल दिया गया है। इस ऐतिहासिक बदलाव मे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मुख्य भूमिका है।

Honble-Dr-Justice-D-Y-Chandrachud
Honble-Dr-Justice-D-Y-Chandrachud

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का मानना है कि है, कानून कभी अंधा नहीं होता बल्कि कानून सभी को समान रूप से देखता है। न्याय की देवी के हाथ में संविधान होना इस बात का संदेश देता है कि न्याय का आधार संविधान है और न्याय संविधान के अनुसार किया जाता है और कानून की नजर में सभी समान हैं यह दूसरे हाथ मे स्थित तराजू इसका प्रतीक है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का मानना है कि है, हमें अंग्रेजो के विरासत को छोड़कर अब इससे आगे निकलने की जरूरत है। जिस तरह से सरकार के द्वारा अंग्रेजों के जमाने के कानून को बदलकर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ली है जो भारत मे 1जुलाई, 2024 से प्रभावी भी हो गया है।

अब न्यायपालिका भी बदलाव की राह पर है। इसलिए न्याय की देवी का स्वरूप भी बदला जाना चाहिए।

 

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