आने वाला समय स्व के जागरण का है: राज्यपाल

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राजगीर : बिहार

@ The Opinion Today

नालंदा ज्ञान कुंभ का समापन

राजगीर के नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से आयोजित नालंदा ज्ञान कुंभ का सोमवार को समापन हो गया ।
समापन समारोह की अध्यक्षता झारखंड राज्य के राज्यपाल संतोष गंगवार ने की।संचालन नालंदा ज्ञान कुंभ के संयोजक राजेश्वर कुमार ने किया ।मुख्य अतिथि के रूप में श्री राम मंदिर न्यास से जुड़े गोविंद गिरी जी महाराज थे. अतिथियों का स्वागत नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोo अभय कुमार सिंह ने किया। झारखंड राज्य के राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपने संबोधन में कहा कि नालंदा की भूमि ज्ञान की भूमि है।.शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का यह प्रयास जो नालंदा ज्ञान कुंभ के माध्यम से विकसित भारत @2047 व भारतीय ज्ञान परंपरा को स्थापित करने का यह जो कार्य कर रहा है निसंदेह यह प्रशंसनीय है. नालंदा का मतलब ही प्राचीन भारत की स्वर्णिम काल की याद दिलाता है. नालन्दा भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने में ज्ञान कुंभ के माध्यम से महान योगदान दे रहा है, जो कि आने वाले समय में भारतीय संस्कृति को विश्व में परचम लहरायेगा. ज्ञान कुंभ देश के चार अलग अलग जगहों पर हो रहा है. इसके माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा को विकसित करने और भारत को समृद्ध करने में सहायक होगा. चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का विकास भरतीय शिक्षा का आधारभूत लक्ष्य है. आगामी फरवरी माह में प्रयागराज में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से ज्ञान महा कुंभ का आयोजन होगा. इसमें भारतीय भाषाओं और भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय संस्कृति पर मंथन होगा. यह एक अमूल्य प्रयास है. इसका संदेश दूर दूर तक जायेगा.मुख्य अतिथि श्री राम मंदिर न्यास से जुड़े गोविंद गिरी जी महाराज ने कहा कि इस ज्ञान कुंभ के माध्यम से देश को पूर्ण ज्ञान की आभा को लेकर देश की संस्कृति को पुनर्जागृत करना है. बिना ज्ञान के धर्म और संस्कृति की रक्षा नहीं हो सकती है. जीवन में शांति जो ज्ञान से मिल सकता है, वह और किसी चीज से नहीं मिल सकती है. इस भारत भूमि के लिए कभी भी थकना, रुकना और झूकना नहीं है. देश से अगर प्रेम है तो हर पल यह कहना चाहिए कि मै रहूं या ना रहूं मेरा देश रहना चाहिए. भारत के नाम से ही ज्ञान की प्राप्ति होती है.इस देश में ऋषि महर्षि भी पुनर्जन्म लेने की तपस्या करते है. कहा कि नालंदा की भूमि पर आकर मेरा जीवन धन्य हो गया. भारतीय संस्कृति के उत्थान को लेकर शिक्षा संस्कृति न्यास की ओर से शुरू किया गया यह प्रयास सराहनीय है. न्यास के राष्ट्रीय संयोजक ए. बिनोद ने अपने संबोधन में कहा कि न्यास अपने स्थापना कला से ही शिक्षा में सुधार और उत्थान और संस्कृति की रक्षा को लेकर कार्य कर रहा है. भारतीय भाषाओं को पूर्ण रूप से स्थापित करने को लेकर न्यास प्रतिबद्ध है. विधि के क्षेत्र में भारतीय भाषा का उपयोग हो, चाहे स्वास्थ्य क्षेत्र में भाषा का उपयोग हो इसके लिए लगातार कार्य हो रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का पूर्ण रूप से भारत में क्रियान्वयन को लेकर भी कार्य हो रहा है. धन्यवाद ज्ञापन नालंदा विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो रमेश प्रताप सिंह परिहार ने किया. कार्यक्रम में जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो परमेंद्र कुमार बाजपेयी, पूर्व कुलपति प्रो केसी सिन्हा, दर्शन शास्त्र के विद्वान् प्रो आरसी सिन्हा, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार, कुलसचिव प्रो समीर कुमार शर्मा, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आरके सिंह, नव नालंदा विहार के कुलसचिव डॉ मीता, प्रो तिमिर त्रिपाठी, प्रो अरुण कुमार सिंह, प्रो बिनोद मिश्रा, प्रो दयानंद मेहता, डॉ संदीप सागर, डॉ हरीश दास, डॉ प्रशांत कुमार राय, डॉ बिंकटेश्वर कुमार, आशुतोष कुमार, डॉ पंकज कुमार, डॉ आलोक सिंह, डॉ चुनन्न कुमारी, डॉ रजन द्विवेदी, डॉ राज लक्ष्मी, डॉ अजय कुमार, प्रो विजय कुमार सिंह, डॉ पियूष रंजन, डॉ विकास कुमार सहित कई शिक्षाविद, शोधार्थी, प्राचार्य, शिक्षक और छात्र छात्राएं उपस्थित थी.मालूम हो कि ज्ञान कुंभ में 13 राज्यों के शिक्षाविदो का जमावड़ा रहा. इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को समृद्ध और संरक्षित करने पर मंथन हुआ.

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