फसल का दुश्मन है ‘गेहूं का मामा’

Untitled 1

रांची : झारखंड

@The Opinion Today

30 से 40 तक कम कर देता है उत्पादन

भारत में रबी फसल का सबसे खतरनाक खरपतवार फालारिस माइनर यानि मंडूसी है जिसे गुल्ली डंडा, गेहूं का मामा और कनकी भी कहा जाता हैं। यह आम धारणा हौ कि मंडूसी का बीज भारत में उस समय पर आया जब हमने साठ के दशक में बड़े पैमाने पर मैक्सिको से बौनी किस्म की गेहूं का बीज आयात किया.गेहूं की की ज्यादा पैदावार देने वाली बौनी किस्मों के साथ-साथ अधिक खाद से पानी देने के परिणाम स्वरूप और मंडूसी को भी वृद्धि का अनुकूल वातावरण मिला, जिसके कारण तेजी से ये फैलता गया।

गेहूँ के खेत में गेहूँ के मामा के पौधों की पहचान काफी मुश्किल होती है लेकिन ध्यान से देखने पर पता चलता है कि गेहूँ के मामा के पौधे सामान्यतः गेहूँ के मुकाबले हल्के रंग के होते है। गेहूँ के मामा में कैग्यूद तथा गेहूँ में आरिकल्ज ज्यादा विकसित होते है।
आइसोप्रोट्यूरान नामक खरपतवारनाशी को सत्तर के दशक के अन्त में गेहूँ के मामा के नियंत्रण के लिए प्रमाणित किया गया। जो लगभग एक दशक तक बहुत प्रभावशाली भी रहा। लेकिन पूरी तरह से इसी खरपतवारनाशी पर हमारी निर्भरता का परिणाम यह हुआ कि इस खरपतवारनाशी का गेहूँ के मामा पर असर न होने की खबरे उत्तर-पश्चिम भारत में नब्बे के दशक के आरम्भ में मिलनी शुरू हुई।

ad 01

आइसोप्रोट्यूरान के असरदार न रहने से पिछले सालो में गेहूँ उत्पादन में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। गेहूँ का मामा का नियंत्रण आज गेहूँ की उत्पादकता वृद्धि के रास्ते में एक प्रश्न चिन्ह बनकर रह गया है।

गेहूं का मामा (फालारिस माइनर) पर नियंत्रण

  • खरपतवार रहित बीज का प्रयोग करें।
  • सही समय पर खरपतवारनाशी का प्रयोग करें।
  • सही दूरी पर बुवाई करें।
  • मेढ़ पर बिजाई करें।
  • खरपतवारनाशी का प्रयोग करें ।

ज्यादा जानकारी के लिये नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें


#theopiniontoday #jharkhand_news #jharkhand_update #Phalarisminor


Discover more from theopiniontoday.in

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!

Discover more from theopiniontoday.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading