झारखंड में आलू की किल्लत का मुद्दा संसद में गूंजा

aaloo vivad

रांची : झारखंड

@ The Opinion Today

पश्चिम बंगाल और झारखंड के बीच आलू के अंतरराज्यीय व्यापार को लेकर एक हफ्ते से जारी विवाद की गूंज मंगलवार को संसद में सुनाई दी। हजारीबाग के भाजपा सांसद डॉ ० मनीष जायसवाल ने लोकसभा में यह मसला उठाया। उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार की ओर से झारखंड को आलू की आपूर्ति रोके जाने से गरीबों की परेशानी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कहा कि अंतरराज्यीय व्यापार पर रोक नहीं लगाया जा सकता। केंद्र सरकार को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।

क्या है आलू का मुद्दा

झारखंड में पूरे साल आलू की जितनी खपत होती है, उसका 60 प्रतिशत हिस्सा बंगाल से आवक होता है। पश्चिम बंगाल ने राज्य में आलू की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए आलू के निर्यात पर लोक लगा दी जिससे बिहार, उत्तरप्रदेश , झारखण्ड जैसे राज्यों में आलू को भेजा जाना रोक दिया गया। पिछले एक हफ्ते में यहां आलू की कीमतों में पांच से दस रुपये तक का इजाफा हुआ है। मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने रविवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत से इस मामले में फोन पर बात की थी।

विधानसभा फिर लोक सभा में उठा मुद्दा

सोमवार को यह मामला बंगाल की विधानसभा में भी उठा था, जिस पर वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो टूक कहा था कि सरकार को अंधेरे में रखकर यहां से आलू-प्याज दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है. इस वजह से राज्य में इसकी कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने मुनाफाखोरी को इसकी वजह बताते हुए कहा कि इसी वजह से बनगलके लोगों को आलू की ऊंची कीमत चुकानी पड़ रही है। मुख्यमंत्री ने दूसरे राज्यों में आलू-प्याज भेजने से पहले बंगाल को प्राथमिकता देनी की बात कही। शीतकालीन सत्र के सातवें दिन हजारीबाग के सांसद ने इस मुद्दे को उठाया उन्होंने कहा की बंगाल सरकार के फैसले के चलते गरीब जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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