रांची : झारखंड
@ The Opinion Today
PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च की एनुअल रिव्यू ऑफ स्टेट लॉज 2024 जारी कर दी गयी है। इस रिपोर्ट में 2024 के दौरान तमाम राज्यों की विधानसभाओं से मिले आंकड़ों की बुनियाद पर कई ट्रेंड पर चर्चा की गयी है। जिनमें विधानसभा के काम काज के तरीके, विधानसभाओं और राज्यपालों के बीच संबंध, विधानसभा में समाप्त होती जा रही बहस की परंपरा, विधानसभा सत्र की संख्या, पारित विधेयक और विधानसभा में डिप्टी स्पीकर का पद रिक्त होना जैसे विषय शामिल हैं।
राज्य विधानमंडलों का कामकाज :
2024 में, राज्य विधानसभाओं ने औसतन 20 दिन तक काम किया, जो कुल मिलाकर औसतन 100 घंटे था। इस अवधि के दौरान, उन्होंने कुल 500 से अधिक विधेयक और 58 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट पारित किए।
2024 में 18 फीसद विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी मिलने में तीन महीने से अधिक का समय लगा, जबकि 60 फीसद विधेयकों को एक महीने के भीतर मंजूरी मिल गई. बता दें कि देश में कुल 31 विधानसभा हैं, जिसमें 28 राज्यों की विधानसभा है और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा हैं.
साल 2024 में 51 फीसद विधेयक जिस दिन सदन में आए उसी दिन या उसके अगले दिन पारित हो गए. वहीं, 2023 में 44 फीसद विधेयक जिस दिन सदन में आए उसी दिन पास हो गए।
आठ राज्यों-बिहार, दिल्ली, झारखंड, मिजोरम, पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने सभी विधेयक पेश होने वाले दिन या उसके अगले दिन पारित कर दिया।
हिमाचल प्रदेश में 72 फीसद पारित विधेयकों को मंजूरी देने में तीन महीने से ज्यादा का समय लगा। बंगाल में 38 प्रतिशत पारित विधेयकों को मंजूरी देने में ज्यादा समय लिया गया। सिक्किम में 56 प्रतिशत पारित विधेयकों को मंजूरी देने में ज्यादा समय लिया गया. वहीं, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मिजोरम और राजस्थान जैसे राज्यों में सभी विधेयकों को एक महीने के भीतर मंजूरी मिल गई।
विधेयकों पर बहस की परंपरा लगभग समाप्त :
हैरानी की बात ये भी है कि विधानसभा में विधेयकों पर बहस की परंपरा लगभग समाप्त होती दिख रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2024 में 51 फीसद विधेयक जिस दिन सदन में पेश किया गया, उसी दिन या अगले दिन पास हो गया. देश की सभी विधानसभा ने बीते साल 500 से ज्यादा विधेयक पास किए हैं।
16 राज्यों ने पांच दिन के भीतर सभी विधेयक पारित कर दिए. हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने 32 विधेयक पारित किए, जिनमें से 17 विधेयक 5 सितंबर 2024 को पेश किए गए और सदन में पेश होने के अगले दिन पारित किए गए।
पारित विधेयकों में से केवल 4 % की समितियों ने की जांच :
विधानसभा में विधेयक पेश किए जाने के बाद, इसे विस्तृत जांच के लिए समिति को भेजा जा सकता है। समिति के सदस्य प्रस्तावित कानून के निहितार्थों को समझने के लिए सार्वजनिक परामर्श कर सकते हैं। समिति की रिपोर्ट विधेयक में आवश्यक संशोधनों का प्रस्ताव कर सकती है और सदन में अधिक जानकारीपूर्ण बहस का नेतृत्व कर सकती है।
2024 में पेश किए गए 500 से अधिक विधेयकों में से 22 को सात राज्यों की समितियों को भेजा गया। इनमें से 15 विधेयकों की रिपोर्ट संबंधित विधानसभाओं को प्रस्तुत की गई है।
UP और महाराष्ट्र की विधानसभाओं में सबसे अधिक पेश हुए अध्यादेश :
2024 में 20 राज्यों ने कुल 100 अध्यादेश जारी किए। बाद में सभी अध्यादेशों को विधेयकों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। सबसे अधिक अध्यादेश उत्तर प्रदेश (22) द्वारा जारी किए गए, उसके बाद महाराष्ट्र (18) का स्थान रहा।
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