चतरा : झारखंड
@ The Opinion Today
रुडयार्ड किपलिंग की किताब ‘द जंगल बुक’ तो सबने पढ़ी है। उपन्यास को आधार बनाकर कई फिल्में और एनीमेशन सीरीज भी बन चुकी हैं। द जंगल बुक एक बच्चे की कहानी है जो भेड़ियों के बीच बड़ा हुआ । उनसे लड़ने और झुंड की सहायता के बारे में जाना। शिकार झुंड में किया जाता है और खाना भी बांट कर खाते है। भेड़ियों की प्रकृति कुछ ऐसी होती है। भेड़िए शांत, बेहद समझदार और शातिर जानवर है। लेकिन पिछले कई महीनों से अपने आक्रामक व्यवहार खासकर बच्चों पर हमला करने की बढ़ती घटनाओं ने इन्हें एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में ल दिया है।
जंगल-जंगल बात चली है पता चला है, चड्ढी पहन के फूल खिला है
जंगल बुक की कहानी हमारे और आपके मन में जो बैठी हुई है वह भेड़िए को आक्रामक दोस्त की याद दिलाती है।
आज भी बच्चों में मोगली का आकर्षण नहीं हुआ है। जंगल बुक का मोगली भारत के एक शख्स दीना सनीचर से प्रेरित था।
यह भारतीय बच्चा बुलंदशहर के जंगलों में 1889 में मिला था। वह छह साल का था, नाम रखा गया दीना सनीचर। शिकारियों के समूह को वह एक गुफा में मिला था। सनीचर भेड़ियों के बीच बड़ा हुआ था। वह भेड़िए की तरह बैठता और बर्ताव भी जानवरों की तरह करता था। उसका मानवीय बर्ताव पूरी तरह से बदल चुका था।
भेड़िये जंगल बुक वाले मोगली से अलग हैं?
भेड़िए पालतू जानवर नहीं है। लेकिन बेवजह आक्रामक भी नहीं होते। जुलाई महीने में उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों के हमले की घटना ने काफी सुर्खियां बटोरी। भेड़ियों ने 9 बच्चों समेत कुल 10 लोगों को अपना शिकार बनाया।भेड़ियों ने इंसानों को शिकार बनाया खासकर बच्चों को ।बड़ा सवाल था कि भेड़िए इंसानों का शिकार क्यों कर रहे हैं?
वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़
पूरे भारत में भेड़ियों की संख्या बाघों से भी कम है। झारखण्ड देश का एकलौता राज्य है जहाँ भेड़ियों के लिए एकमात्र संरक्षित क्षेत्र स्थापित है। झारखण्ड के लातेहार में महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी है। यह वुल्फ सेंचुरी 63 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 1970 ईस्वी में पहली बार महुआडांड़ के पहाड़ी इलाके में भेड़ियों को देखा गया था। जिसके बाद 29 जून 1976 को देश का पहला वुल्फ सेंचुरी बना। महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ मौजूद हैं। भेड़िये नवंबर से लेकर मार्च तक ब्रीडिंग करने के दौरान अपना ठिकाना बनाते है। पहाड़ों की खोह या मांद में प्रजनन के बाद बच्चों को रखते हैं।
पूरे भारत में तीन हजार के करीब भेड़ियों की संख्या है,जिनमें 100 भेड़िए अकेले सिर्फ वुल्फ सेंचुरी में है।
लेकिन बहराइच जैसी घटना इसके आस पास के क्षेत्रों में नहीं देखी गई। संभवतः बहराइच की घटना के पीछे भौगोलिक कारण और जंगल का सिकुड़ना भी है।
रांची के बाद चतरा में भेड़िए का आतंक
कुछ दिनों पहले झारखंड में रांची ग्रामीण अंचल में भेड़िए ने मवेशी चरा रहे दो लोगों को हमला कर घायल कर दिया।
इससे पहले भी इस प्रकार की खबर कभी कभार सुनने में आती रहती है कि भेड़िया बकरी और मवेशियों पर हमला कर दिया या उन्हें मार दिया।
करीब एक सप्ताह पहले झारखंड के चतरा जिले में भी कुछ ऐसी ही घटना घटी भेड़िए ने हमला कर ( ग्रामीणों के अनुसार ) आधा दर्जन से अधिक लोगों घायल कर दिया ।
इसके बाद ओर भी घटनाएं घटी है।
बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग ने भेड़िए को पकड़ने के लिए थर्मल कैमरे, जाल और ड्रोन कैमरे लगाए हैं।
हालांकि अभी तक विभाग को कोई सबूत हाथ नहीं लगा है।
चतरा दक्षिणी वन प्रक्षेत्र के डीएफओ मुकेश कुमार कहते है ” अभी यह सुनिश्चित होना बाकी है कि हमलावर भेड़िया है या कुछ और। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा जानवर उन्होंने पहले नहीं देखा । थर्मल कैमरों में अभी तक केवल नील गाय और अन्य जानवर ही दिखाई पड़े हैं।
भेड़ियों के शिकार का पैटर्न
भेड़िया बेहद विचित्र तरह का जानवर है। भूख मिटाने के लिए उसे जो भी आसानी से मिल जाएगा वह उसका शिकार कर लेगा। शिकार करने का उनका अपना पैटर्न है।
भेड़िया शिकार के मामले में बेहद चालाक और फुर्तीला है। वह बेहद खामोशी से दबे पांव आता है और शिकार को मुंह में दबोच कर भाग जाता है।भेड़िया कभी भी शिकार को उस जगह पर खाना पसंद नहीं करता है, जहां पर उसने शिकार किया हो। वह शिकार को मुंह में दबाकर करीब एक दो किमी दूर निकल जाता है और फिर उसको वहां जाकर इत्मिनान से खाता है।
इंसानी दुश्मन या प्रकृति का रक्षक?
लोककथाएं या फ़िल्में, भेड़िए को अक्सर एक क्रूर पशु या एक इंसानों के दुश्मन के रूप में लोगों के सामने पेश किया जाता है। हालांकि, सच्चाई इससे अलग है।
भेड़ियों के आक्रामक होने की सूचनाओं बेहद कम ही सुनाई देती हैं। भेड़ियों में एक बड़ी खूबी ये होती है कि भेड़िए विषम परिस्थितियों में भी अपने आपको बचाना जानते हैं। जिसके चलते भेड़ियों के व्यवहार में बदलाव आने की संभावना रहती है।सामान्य तौर पर भेड़िया किसी भी इंसान पर हमला नहीं करता, क्योंकि भेड़िया काफी शर्मीले स्वभाव का जानवर है।जब भेड़ियों के सरवाइव करने में दिक्कत पैदा होने लगती है तो फिर वो जानवर या इंसान नहीं देखता है, तब वह काफी आक्रामक हो जाता है।
वैसे भेड़िया काफी समझदार जानवर है, हमेशा एक झुंड में चलता है। आक्रामक होने पर ग्रुप हंटिंग की स्ट्रैटेजी अपनाकर वार करता है। अन्य जंगली जानवरों की तरह वह भी इंसानों को अवॉइड करना पसंद करता है।
ऑपरेशन भेड़िया और इकोसिस्टम
बहराइच में भेड़ियों को पकड़ने के लिए ऑपरेशन भेड़िया चलना पड़ा था। इसके सकारात्मक परिणाम भी मिले।
भेड़ियों के आक्रामक होने और बच्चों पर हुए हमलों को लेकर जो बातें सामने आईं है उसके अनुसार आवास की कमी, भोजन का अभाव, रेबीज जैसी बीमारी, उनका शर्मिला व्यवहार और परिवार को लेकर भावनात्मक संबंध महत्पूर्ण कारक हो सकते हैं।
#theopiniontoday #jharkhand #Jharkhand_Tourism #chatra #Joundgle Book #wolf
Discover more from theopiniontoday.in
Subscribe to get the latest posts sent to your email.