किसानों के लिए वरदान हैं ये योजनाएं

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रांची : झारखंड

@ The Opinion Today

सरकार की 9 योजनाएं बदल देंगी किस्मत

भारत के किसानों के कल्याण और कृषि क्षेत्र के सतत विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए केंद्र ने कई कार्यक्रम प्रारम्भ किये हैं। पीएम-किसान, PMFBY और नमो ड्रोन दीदी जैसी योजनाओं के माध्यम से, सरकार न केवल वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है बल्कि किसानों के लिए उत्पादकता और बाजार पहुंच भी बढ़ाती है। अनाज उत्पादन में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ, बुनियादी ढांचे के विस्तार और डिजिटल कृषि मिशन एवं स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम जैसी डिजिटल पहल के साथ मिलकर, लचीले और समृद्ध कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मजबूत नींव स्थापित कर रही हैं। ‘अन्नदाता’ सशक्त, सुरक्षित और भारत की विकास यात्रा के अभिन्न अंग बन चुके इन कार्यक्रमों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें।

नमो ड्रोन दीदी: 1,261 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 2024-25 से 2025-26 के लिए अनुमोदित नमो ड्रोन दीदी योजना का लक्ष्य उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग और कृषि किराये की सेवाओं के लिए ड्रोन प्रदान करके 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सशक्त बनाना है। यह योजना ड्रोन, सहायक उपकरण और सहायक शुल्क की लागत की 80% केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जो अधिकतम 8 लाख रुपएतकहै। 3 दिसंबर 2024 तक, किसान ड्रोन प्रमोशन के लिए 141.41 करोड़ रुपए जारी किए जाचुकेहैं।
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मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: 2015 में शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य में सुधार करना और कुशल उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देना है। इस योजना के आरंभ के बाद से 24.60 करोड़ से अधिक कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से 2023-24 में 36.61 लाख कार्ड बनाए गए हैं। मजबूत प्रयोगशाला नेटवर्क इस योजना का समर्थन करता है। मृदा उर्वरता मानचित्र विकसित करने के लिए सरकार की 2025-26 तक मिट्टी के 5 करोड़ नमूनों का परीक्षण करने की योजना है।
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10,000 एफपीओ का गठन और संवर्धन: सरकार ने 2020 में10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और प्रचार के लिए 6,865 करोड़ रुपए के बजट के साथ योजना शुरू की। अब तक, 26.17 लाख लाभार्थी किसानों को शामिल करके 9,411 एफपीओ का गठन किया गया है, जिसका लक्ष्य सामूहिक खेती को बढ़ाना और बाजार पहुंच में सुधार करना है।
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PRESS RELEASE


किसान कवच: 17 दिसंबर, 2024 को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के पहले कीटनाशक रोधी बॉडीसूट किसान कवच का अनावरण किया, जिसे किसानों को कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह अभूतपूर्व नवाचार किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इस कार्यक्रम में किसानों की सुरक्षा के महत्व पर बल देते हुए किसानों को किसान कवच सूट के पहले बैच का वितरण भी किया गया।
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स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 09.08.2024 को 1,765.67 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम (CPP) को स्‍वीकृति दी। सीपीपी का लक्ष्य रोग-मुक्त रोपण सामग्री प्रदान करके, उपज में वृद्धि के साथ जलवायु-लचीली किस्मों के प्रसार और उन्‍हें अपनाने का लाभ पहुंचाकर बागवानी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाना है।
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डिजिटल कृषि मिशन: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2.9.2024 को 2,817 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ डिजिटल कृषि मिशन को अनुमति दी जिसमें केंद्र का हिस्सा 1,940 करोड़ रुपए शामिल है। इस मिशन की कल्पना डिजिटल कृषि पहलों का समर्थन करने के लिए व्यापक योजना के रूप में की गई है, जिसमें डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण, डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (DGCES) को लागू करना और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों द्वारा अन्य आईटी पहल शामिल हैं।
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ई-एनडब्ल्यूआर आधारित प्लेज फाइनेंसिंग (CGS NPF) के लिए क्रेडिट गारंटी योजना: भारत सरकार ने 16 दिसंबर 2024 को ई-एनडब्ल्यूआर आधारित प्लेज फाइनेंसिंग (सीजीएस-एनपीएफ) के लिए क्रेडिट गारंटी योजना शुरू की, जिसमें 1,000 करोड़ रुपए का कोष प्रदान किया गया। इसका उद्देश्‍य किसानों के लिए फसल कटाई के बाद के वित्तपोषण का समर्थन करना है। इस योजना के तहत, किसान इलेक्ट्रॉनिक परक्राम्य गोदाम रसीदों (ई-एनडब्ल्यूआर) द्वारा समर्थित वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (WDRA) से मान्यता प्राप्त गोदामों में संग्रहीत अपनी उपज को गिरवी रखकर ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
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राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO तिलहन): केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3.10.2024 को 10,103 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (एनएमईओ-तिलहन) को स्‍वीकृति दी। इस मिशन का लक्ष्य घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है, जिसे 2024-25 से 2030-31 तक सात वर्ष की अवधि के लिए लागू किया जाएगा।

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राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25.11.2024 को स्टैंडअलोन केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) को स्‍वीकृति दी। इस योजना का कुल परिव्यय रु. 2,481 करोड़ (भारत सरकार का हिस्सा – 1,584 करोड़ रुपए; राज्य का हिस्सा – 897 करोड़ रुपए)है। यह देश भर में रसायन मुक्त, प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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