बिजनेस डेस्क : झारखंड
@ The Opinion Today
स्टार्ट्सअप के साथ सबसे बढ़ी चुनौती है खुद को बनाये रखने की। 90% स्टार्टअप्स को विफलता का जोखिम झेलना पड़ता है, चाहे वह पहले वर्ष के भीतर हो या पांचवें वर्ष के अंत तक। आंकड़े स्टार्टअप यात्रा की अप्रत्याशित और अस्थिर प्रकृति को रेखांकित करते हैं। वहीं कुछ स्थापित हो चुके स्टार्टअप ने व्यवसाय मॉडल को फिर से परिभाषित करने के लिए लीन स्टार्टअप विधि को अपनाया। लीन स्टार्टअप अभिनव नए उत्पादों के विकास को देखने का एक नया तरीका है जो तेजी से पुनरावृत्ति और ग्राहक अंतर्दृष्टि, एक विशाल दृष्टि और महान महत्वाकांक्षा, सभी एक ही समय में जोर देता है। आईये जानते हैं क्या है यह लीन स्टार्टअप।
लीन स्टार्टअप मेथोडोलॉजी क्या है?
बिज़नेस शुरू करने या अपने खुद के स्टार्टअप को लॉन्च करने की विधि को लीन स्टार्टअप मेथोडोलॉजी कहते हैं। लीन स्टार्टअप का मतलब प्रोडक्ट की लगातार टेस्टिंग करना है जिमें प्रोडक्ट को पहली बार छोटी मात्रा में बाजार में उतारा जाता है। ताकि उपभोक्ताओं से प्राप्त फीडबैक के आधार पर आगे चलकर बदलावों लाए जा सकें। । इसका उद्देश्य प्रोडक्ट प्रक्रिया के दौरान ग्राहकों की प्राथमिकताओं को समझना है और इस प्रकार ठीक उसी उत्पाद जारी करना है, जो मार्किट की जरूरतों को सही ढंग से पूरा करेगा।
लीन स्टार्टअप मेथड के अनुसार काम करने के लिए यह सुनिश्चित करने की जरूरत है, कि प्रोडक्ट उपयोगी और मांग में होगा, यह उम्मीद करने की जगह कि बिक्री शुरू होने के बाद प्रोडक्ट मांग में होने लगेगा। यह आईडिया की कीमत को समझने और यह तय करने में मदद करता है, कि क्या यह बिज़नेस उपलब्ध फंड का निवेश करने लायक है या नहीं। इसमें न केवल वित्तीय निवेश शामिल है, बल्कि समय और मानव संसाधन जैसे अन्य संसाधन भी शामिल हैं।
लीन स्टार्टअप लीन थिंकिंग फिलॉसफी पर कार्य करता है। इसके 8 चरण है।
बहुविज्ञता : यह दृष्टिकोण बिल्कुल किसी भी कंपनी में लागू किया जा सकता है, चाहे उसका आकार, व्यावसायिक भूगोल, विशेषज्ञता और इंडस्ट्री कुछ भी हो।
लचीलापन और जोखिमों को मैनेज करने की क्षमता: यह मार्केट में बदलावों और बिज़नेस प्रोसेस पर बाहरी कारकों के प्रभाव का तुरंत जवाब देने की क्षमता है। इसलिए, दुनिया की परिवर्तनशीलता को ध्यान में रखना जरूरी है।
वास्तविकता : एक स्टार्टअप का मुख्य कार्य यह समझना और मूल्यांकन करना है, कि मार्किट को क्या चाहिए और उपभोक्ता अभी और इसी समय क्या खरीदने के लिए तैयार हैं। ग्राहकों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उन्हें कैसे हल किया जा सकता है।
प्राइमरी टास्क : फायदे और नुकसान का आंकलन आपको यह समझने में मदद करेगा, कि किस रास्ते पर आगे बढ़ना है। उसी रेट पर बने रहना या दूसरी दिशा में मुड़ना, यानी बिज़नेस के अस्तित्व या प्रोडक्ट के डेवलपमेंट के अन्य रूपों के लिए एक तेज शिफ्ट करना।
वेरिफाइड लर्निंग : यह आंकलन करने की प्रक्रिया है कि प्रोडक्ट का पिछला वर्जन कितनी डिमांड में था और कितना उपयोगी निकला लीन स्टार्ट अप के अनुसार, आपको नियमित रूप से प्रोडक्ट की टेस्टिंग करनी चाहिए और सभी इन्नोवेटिव प्रोडक्टों की जांच करनी चाहिए।
निरंतर सुधार: लॉन्च किए गए प्रोडक्ट में नियमित रूप से सुधार लाने चाहिए और उसे उस लेवल तक पहुंचना चाहिए, जिस लेवल पर उपभोक्ता उसे देखने की उम्मीद करते हैं।
फीडबैक: प्रोडक्ट के आगे के विकास के लिए संभावित ग्राहकों को इसके संशोधित वर्जन और अपडेट दिखाना ज़रूरी है।
सफलता संकेतकों की देख-रेख : लीन स्टार्ट अप विधि में वर्तमान कार्यों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए मानदंड और प्रमुख मैट्रिक्स की नियमित जाँच शामिल है। मुख्य बिज़नेस मेट्रिक्स में शामिल हैं।
#theopiniontoday #Jharkhand #startup
Discover more from theopiniontoday.in
Subscribe to get the latest posts sent to your email.