रांची : झारखंड
@The Opinion Today
भारत बनेगा दुनिया की स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती की राजधानी।
भारत में दुनिया की स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती की राजधानी बनने की अपार संभावनाएं हैं। वह दिन दूर नहीं जब “मेक इन इंडिया” के साथ-साथ दुनिया भी “हील इन इंडिया” को मंत्र के रूप में अपनाएगी। देश में बेहतर इलाज के लिए आने वाले विदेशी नागरिकों को आयुष उपचार का लाभ उठाने की सुविधा प्रदान करने के लिए विशेष आयुष केंद्र शुरू किये जा रहे हैं। केंद्र की सरकार आयुष और आयुर्वेद जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को भी बढ़ावा दे रही है। पिछले एक दशक में आयुष प्रणाली का विस्तार 100 से अधिक देशों में हो चुका है।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य देखभाल को आगे बढ़ाने और पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में रोहिणी में केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान की आधारशिला रखी और इसे “आयुर्वेद की अगली बड़ी छलांग” करार दिया। इस दौरान उन्होंने
इस बात की जानकारी दी कि पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का पहला संस्थान भारत में स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ सप्ताह पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के दूसरे चरण का उद्घाटन किया गया।
केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के नए भवन के महत्व पर बल देते हुए आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा की यह भविष्योन्मुखी भवन समाज को उच्च-गुणवत्ता वाली सेवाएँ प्रदान करने, पारंपरिक चिकित्सा के बारे में जागरूकता और पहुँच बढ़ाने के लिए तैयार है। 187 करोड़ रुपये के निवेश से 2.92 एकड़ में फैली इस नई सुविधा में 100 बिस्तरों वाला अनुसंधान अस्पताल होगा जो आयुर्वेद अनुसंधान को आगे बढ़ाने और समुदाय को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्पित होगा।
1979 में स्थापित केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान आयुर्वेद में नैदानिक अनुसंधान में अग्रणी रहा है, यह विशेष रूप से निवारक हृदय रोग और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) पर ध्यान केंद्रित करता है। गुणवत्ता के प्रति सीएआरआई की प्रतिबद्धता इसके प्रतिष्ठित नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स (एनएबीएच) और नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) प्रमाणन के माध्यम से प्रदर्शित होती है। हेल्थकेयर सेक्टर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया से संबद्ध संस्थान के पंचकर्म तकनीशियन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का उद्देश्य आयुर्वेद में मूल्यवान कौशल के साथ युवाओं को सशक्त बनाना है, जिससे इस क्षेत्र के विकास और क्षमता निर्माण में योगदान मिल सके।
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