चतरा में भेड़िए का आतंक: केज और थर्मल पावर कैमरे के सहारे रखी जा रही निगाह

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चतरा : झारखंड

@ The Opinion Today

दिसंबर महीने की ठंड भरी रात में भेड़िए को अपने छोटे भाई की तरफ बढ़ते देख 13 वर्षीय चांदनी चूल्हे के जलती हुयी लकड़ी (लुआठ) लेकर भेड़िये की तरफ दौड़ी लेकिन चालाक भेड़िया ने भाई को छोड़ चांदनी पर ही हमला कर दिया। हमले में दोनों भाई बहन घायल हो गए।
बाद में इनको इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। घटना बीते मंगलवार की है।
इसके ठीक एक दिन पहले सोमवार की रात इटखोरी के करमा खुर्द में घर में घुसकर भेड़िए ने करीब आधा दर्जन लोगों को घायल कर दिया। घर वाले बारात में जाने की तैयारी कर रहे थे।

चतरा जिले के इटखोरी के करमा और आकांक्षी प्रखंड मयूरहंड के गणेशपुर में पिछले कुछ दिनों में भेड़िए के हमले के कारण ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है।

अनजान हमलावर पहले भी कर चुका है जानवरों पर हमला

करीब दो हफ्ते पहले मवेशियों पर किसी अनजान जानवर के हमले की खबर सामने आई थी। मवेशियों के शरीर पर खरोंच के निशान मिले थे। स्थानीय अखबारों में खबर भी छपी टीवीलेकिन तब इस बात को गंभीरता से नहीं लिया गया था।

वन विभाग हरकत में । ग्रामीण भी सतर्क लगातार हमले की ख़बरों से चौकन्ना हुयी वन विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया। चोट के निशान और हमले में घायलों से प्राप्त जानकारी के बाद विभाग इसकी पुष्टि हो चुकी है।

भेड़िये को पकड़ने के लिए केज और थर्मल पावर कैमरे

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वन विभाग ने विशेषज्ञों की एक टीम को करमा और गणेशपुर भेजा है, जो भेड़िया को पकड़ने के लिए रणनीति बना रही है। विभाग के कर्मचारी रातभर जागकर इन इलाकों में निगरानी कर रहे हैं, थर्मल पावर कैमरों का भी उपयोग किया जा रहा है ताकि भेड़िया को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके और क्षेत्र में फैली दहशत को खत्म किया जा सके। विभाग ने ग्रामीणों को सोलर लाइट भी वितरित किया है ताकि वे सतर्क रहें और विभाग को किसी भी गतिविधि की सूचना दें।

भारत का एक मात्र वुल्फ सेंचुरी लातेहार का महुआडांड़

पूरे भारत में भेड़ियों की संख्या बाघों से भी कम है। झारखण्ड देश का एकलौता राज्य है जहाँ भेड़ियों के लिए एकमात्र संरक्षित क्षेत्र स्थापित है। झारखण्ड के लातेहार में महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी है। यह वुल्फ सेंचुरी 63 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 1970 ईस्वी में पहली बार महुआडांड़ के पहाड़ी इलाके में भेड़ियों को देखा गया था। जिसके बाद 29 जून 1976 को देश का पहला वुल्फ सेंचुरी बना। महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ मौजूद हैं। भेड़िये नवंबर से लेकर मार्च तक ब्रीडिंग करने के दौरान अपना ठिकाना बनाते है। पहाड़ों की खोह या मांद में प्रजनन के बाद बच्चों को रखते हैं।पूरे भारत में तीन हजार के करीब भेड़ियों की संख्या है। जिनमें से 100 भेड़िए अकेले सिर्फ वुल्फ सेंचुरी में हैं।

बहराइच की घटना के बाद से भेड़ियों के हमले की घटना में इजाफा

जुलाई महीने में उत्तर प्रदेश के बहराइच इलाके में भेड़ियों द्वारा इंसानों पर हमला करने की कई खबरें सामने आई। जानकारी डफी गयी कि 6 भेड़ियों के झुण्ड ने 50 गांवो में आतंक मचाया हुआ है। भेड़ियों के हमले में 9 लोग मारे गए जिनमे से 8 बच्चे थे। वहीं 20 से अधिक घायल भी हुए। भेड़ियों के द्वारा किये गए लगातार हमलों ने देश का ध्यान बहराइच की तरफ खींचा। मीडिया में आयी ख़बरों ने एक नयी बहस शुरू कर दी।

पिछले दिनों रांची के ग्रामीण अंचल में भेड़िए ने 2 लोगों को घायल कर दिया था। अब इसके बाद चतरा में भेड़िए ने हमले करके दहशत मचा दी है।


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