राँची : झारखंड
@ The Opinion Today
ILO और यूनिसेफ द्वारा जून 2025 में जारी किये गए ताज़ा आंकड़ों के अनुसार 2024 में दुनिया भर में लगभग 13.8 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लगे हुए थे, जिनमें से कम से कम 5.4 करोड़ बच्चे खतरनाक काम में लगे हुए थे जो उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा या विकास को खतरे में डाल सकते हैं।हालांकि 2000 के बाद से बाल श्रम की संख्या 24.6 करोड़ से लगभग आधी रह गई है, लेकिन गिरावट की मौजूदा दर धीमी बनी हुई है।
बाल श्रम : कृषि सबसे बड़ा क्षेत्र
बाल श्रम को किसी भी ऐसे काम के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो शारीरिक या मानसिक क्षमताओं के हिसाब से बच्चे की उम्र के हिसाब से असंवैधानिक हो। कृषि बाल श्रम के लिए सबसे बड़ा क्षेत्र बना हुआ है, जो सभी मामलों का 61 फीसदी है, इसके बाद सेवाएं (27 फीसदी) – जैसे घरेलू काम और बाजारों में सामान बेचना और उद्योग (13 फीसदी), जिसमें खनन और विनिर्माण शामिल हैं।
बाल मजदूरी में लगे 14 करोड़ बच्चों में से करीब 61 फीसदी कृषि कार्यों में हाथ बंटा रहे हैं। वहीं 27 फीसदी को सेवा क्षेत्र जैसे घरेलू कामकाज या बाजार में सामान बेचना पड़ रहा है। वहीं 13 फीसदी खनन व निर्माण जैसे उद्योगों में काम कर रहे हैं।
10 में से एक बच्चा बाल मजदुर।
झारखण्ड : कोडरमा और गिरिडीह में 4000 बाल श्रमिक
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की रिपोर्ट है की झारखण्ड के कोडरमा और गिरिडीह में 4000 से अधिक बाल श्रमिक कार्यरत है। आयोग ने यह रिपोर्ट इन दोनों जिलों में अध्ययन के बाद जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार माईका खनन क्षेत्र से जुड़े इन बच्चों की उम्र 6 से 16 वर्ष के बीच है।
वर्ष 2023 में TRI रांची के एक शोध में यह खुलासा किया गया की झारखंड से पलायन करने वाले 10 % बाल श्रमिक हमेशा के लिए लापता हो जाते हैं।
#ChildLabour
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