रांची : झारखंड
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गांव बनते जा रहे शहर, दूर होती जा रही हर घर की दुलारी गौरैया
गौरैया, एक छोटा और विनम्र प्राणी, लंबे समय से हमारे प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का हिस्सा रहा है। विश्व गौरैया दिवस, हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। यह दिवस सबसे परिचित लेकिन अक्सर अनदेखा किए जाने वाले पक्षियों में से एक का सम्मान का दिन है। आज का दिन इसके महत्व और इसके संरक्षण की आवश्यकता पर विचार करने का भी है।
गौरैया दिखने में बहुत ही साधारण , इसके पंख आमतौर पर भूरे और ग्रे रंग के होते हैं, जो प्राकृतिक छलावरण प्रदान करते हैं। अपने साधारण दिखने के बावजूद, गौरैया पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे कीड़े खाते हैं, बीज फैलाते हैं और यहां तक कि बड़े जानवरों के लिए शिकार का काम भी करते हैं।
गौरैया सिर्फ़ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक भी रही हैं। वे साहित्य, लोककथाओं और यहां तक कि धार्मिक ग्रंथों में भी दिखाई देती हैं। वे विभिन्न संस्कृतियों में सादगी, स्वतंत्रता और सामुदायिक भावना जैसे विभिन्न गुणों का प्रतीक भी हैं। प्रकृति के नन्हे दूतों को श्रद्धांजलि का यह दिवस जागरूकता बढ़ाना और कार्रवाई को प्रेरित करना है।
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