रांची : झारखंड
@The Opinion Today
सेपक टकरा ऐसे नाम इससे पहले क्या सुना है अपने ? पिछले दिनों इस खेल का वर्ल्ड कप बिहार के पटना में खेला गया। अब तक इस खेल के 4 वर्ल्ड कप आयोजित हो चुके हैं। पटना में आयोजित पांचवां वर्ल्ड कप में भारत ने एक स्वर्ण भी जीता। सेपक टकरा कुछ कुछ वॉलीबॉल जैसा है, मगर पूरी तरह वैसा नहीं है. इसमें बॉल को हाथ नहीं लगा सकते, बाकी कोई भी चीज इस्तेमाल कर सकते हैं. पैर से तो खेलते ही हैं, सिर से, पीठ से भी बॉल को हिट करते हैं। दुसरे शब्दों में इस खेल को परिभाषित करें तो यह एक तरह से फुटबॉल और वॉलीबॉल का मिश्रण है, फॉर्मेट और कोर्ट वॉलीबॉल जैसा है। इस खेल को दुनिया के 20 देशों में खेला जाता है। वैसे तो भारत में इस खेल की शुरुआत 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों से मानी जाती है लेकिन यह अभी इतना नया खेल है कि लोग इसका नाम भी ठीक से नहीं बोल पाते हैं। इस खेल को पसंद करने वालों की मानें तो खेल का मुख्य आकर्षण कूदकर पांव से मारी जाने वाली किक है, जो बैडमिंटन और वॉलीबॉल के स्मैश जैसी लगती है। किक मारने के लिए जबरदस्त फिटनेस की जरूरत होती है।
इस खेल को पूर्वोत्तर के राज्यों में अधिक पसंद किया जाता रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्ष में बिहार जैसे राज्य ने भी अपना परचम लहराया है। सेपक टकरा का एशियाई खेलों और कॉमनवेल्थ खेलों में रहना इसकी अहमियत को दर्शाता है। खिलाडियों एक लिए यह खेल सुनहरे भविष्य का द्वार भी कहा जाता है क्योंकि इस खेल में आज भी कंपटीशन कम है और आगे बढ़ने की संभावना अधिक. कह सकते हैं की खिलाड़ियों को इंटरनेशनल लेवल तक पहचान दिलाने में यह खेल वरदान साबित हो सकता है।
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